Patna Igims : IGIMS में बच्चों के कैंसर का होगा समग्र इलाज.

Patna Igims : प्रदूषण, कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग, संक्रमण और आनुवांशिक कारणों से राज्य में बच्चों में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जीरो से 18 साल तक के बाल कैंसर मरीजों को एक ही छत के नीचे इलाज की सारी अत्याधुनिक सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए 22 जून को आईजीआईएमएस में अलग से पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी विभाग शुरू किया जाएगा।

इसके अलावा मेडिसिन ब्लॉक में रोबो स्पाइनल, वीआर जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से लैस फिजियोथेरेपी विभाग में भी इलाज शुरू होगा। चिकित्सा अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने बताया कि इन नई सुविधाओं का उद्घाटन 21 और 22 तारीख को प्रस्तावित है। इसके अलावा 500 बेड वाले नए मेडिसिन ब्लॉक में मरीजों को हरियाली और छाया देने के लिए सघन पौधरोपण भी किया जाएगा। गैस्ट्रो साइंसेज, कार्डियोथोरेसिक, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी आदि विभागों में जाने के लिए नई लिफ्ट सुविधा भी शुरू की जाएगी।

अभी परिजन बच्चों को लेकर बड़े शहरों की ओर भागते थे

2019-20 के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (एनसीआरपी) के अनुसार, राज्य में 0 से 14 वर्ष की आयु के 2,206 कैंसर पीड़ित बच्चे किसी न किसी अस्पताल में इलाज करा रहे थे। इनमें से 1,030 ल्यूकेमिया, 1,365 लिम्फोमा और 441 सेंट्रल नर्वस सिस्टम ट्यूमर के मामले थे। पटना एम्स में 2019 से 2021 के बीच 306 बच्चों पर किए गए अध्ययन में सबसे ज्यादा 208 यानी 73.24 फीसदी बच्चों में सॉलिड ट्यूमर और 76 यानी 26.76 फीसदी बच्चों में ब्लड कैंसर पाया गया।

32.89 फीसदी बच्चों में सबसे आम प्रकार का ब्लड कैंसर एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया था। उधर, आईजीआईएमएस में 0 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों में 1,978 कैंसर के मामले पाए गए। इनमें से 1,058 यानी 78.31 फीसदी 5 से 19 वर्ष की आयु के थे।

लड़कों में कैंसर के मामले ज्यादा मिले। राज्य में बच्चों में ब्लड कैंसर ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर यानी मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर, लिम्फोमा लिम्फ नोड्स, न्यूरोब्लास्टोमा, किडनी और रेटिनाब्लास्टोमा कैंसर ज्यादा पाए जाते हैं। अभी तक बच्चों के कैंसर के इलाज के लिए लोग एम्स दिल्ली, टाटा मेमोरियल अस्पताल, पीजीआई चंडीगढ़, सीएमसी वेल्लोर, आईसीएमआर कैंसर सेंटर हैदराबाद जाते थे।

पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी में मिलेंगी ये सुविधाएं

राज्य कैंसर संस्थान प्रमुख डॉ. राजेश कुमार सिंह ने बताया कि पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी विभाग में ब्लड टेस्ट, बोन मैरो टेस्ट, बायोप्सी, सीटी-एमआरआई जैसी जांचों के अलावा कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी, इम्यूनोथेरेपी से लेकर बोन मैरो ट्रांसप्लांट तक की सुविधाएं मिलेंगी। इसके अलावा दर्द प्रबंधन, पोषण संबंधी परामर्श, मनोवैज्ञानिक परामर्श, अभिभावकों की काउंसलिंग भी की जाएगी। इसके लिए बाल रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, सर्जन और मनोवैज्ञानिक जैसे मल्टी-डिसिप्लिनरी होंगे। बच्चों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए कीमोथेरेपी और देखभाल के लिए अलग से वार्ड है।

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