Amarnath Yatra 2025 : अमरनाथ गुफा में बनने वाले प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. इन्हें बाबा बर्फानी (Baba Barfani darshan 2025) और अमरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. हर साल लोग हिमालय में स्थित पवित्र गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए कठिन तीर्थयात्रा करते हैं. अमरनाथ गुफा समुद्र तल से करीब 3,978 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इसलिए यह यात्रा काफी कठिन होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि अमरनाथ यात्रा इतनी महत्वपूर्ण क्यों मानी जाती है.
क्यों खास है यह गुफा
पौराणिक कथा के अनुसार, इस पवित्र गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी, जिसे वहां मौजूद कबूतरों के जोड़े ने सुना था. कहा जाता है कि कबूतरों का वह जोड़ा आज भी गुफा में स्थित है, जो अमर पक्षी के नाम से प्रसिद्ध है.
मान्यता है कि जो भक्त अमरनाथ की यात्रा करता है और भक्ति भाव से बाबा बर्फानी के दर्शन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं. जब भगवान शिव माता पार्वती को अमर कथा सुनाने के लिए एकांत स्थान की तलाश कर रहे थे, तो उन्होंने अमरनाथ की गुफा में पहुंचने से पहले अपनी जटाओं में विराजमान नंदी, नाग, चंद्रमा और गंगा को त्याग दिया था।
सबसे पहले शिव जी ने पहलगांव में नंदी का परित्याग किया था। इसके बाद महादेव ने जहां चंद्रमा का परित्याग किया था, वह स्थान आज चंदनवाड़ी के नाम से जाना जाता है। आगे बढ़ने के बाद भगवान शिव ने अपने गले में विराजमान नाग का परित्याग कर दिया, जिसके कारण उस स्थान का नाम शेषनाग पड़ा। अंत में जिस स्थान पर भगवान भोलेनाथ ने अपनी जटाओं से मां गंगा का परित्याग किया, वह स्थान पंचतरणी के नाम से जाना जाने लगा।
अमरनाथ यात्रा का महत्व अमरनाथ यात्रा का महत्व बृंगेश संहिता, नीलमत पुराण आदि कई पुराणों में वर्णित है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार अमरनाथ यात्रा करने से भक्त को 23 तीर्थों के दर्शन करने जितना पुण्य मिलता है। वहीं बाबा अमरनाथ के दर्शन से काशी में दर्शन से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य से हजार गुना अधिक पुण्य मिलता है। इसके महत्व को देखते हुए कहा जाता है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम एक बार अमरनाथ यात्रा जरूर करनी चाहिए।