Railway Board : भारतीय रेलवे बोर्ड ने हैदराबाद डिवीजन में टिकट चेकिंग स्टाफ के लिए बायोमेट्रिक साइन इन-साइन ऑफ और ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट की शुरुआत की है। यह पायलट प्रोजेक्ट साउथ सेंट्रल रेलवे (एससीआर) के प्रस्ताव पर आधारित है, जिसे मार्च 2025 में रेलवे बोर्ड को भेजा गया था। बोर्ड ने 4 अप्रैल 2025 को एससीआर को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की जानकारी दी और कहा कि इस योजना पर फीडबैक छह महीने बाद मांगा जाएगा, ताकि इस पर अंतिम फैसला लिया जा सके।
इस प्रोजेक्ट के तहत टिकट चेकिंग स्टाफ को हर ड्यूटी पर साइन इन और साइन ऑफ करने के लिए बायोमेट्रिक प्रक्रिया से गुजरना होगा और ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट भी कराना होगा। रेलवे अधिकारियों का मानना है कि इससे न सिर्फ कर्मचारियों की ड्यूटी और उपस्थिति में पारदर्शिता आएगी, बल्कि ड्यूटी के दौरान कर्मचारियों के शराब पीने से जुड़े आरोपों की निष्पक्ष जांच भी हो सकेगी।
टीटीई को भी मिलेगी राहत भारतीय रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ संगठन के अध्यक्ष संजय सिंह ने रेलवे की इस पहल का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि अक्सर टीटीई पर यात्री ड्यूटी के दौरान शराब पीने का आरोप लगाते हैं। इस तरह के आरोपों को रोकने के लिए ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट का नियमित क्रियान्वयन एक महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर मध्य रेलवे के कानपुर जैसे कुछ स्टेशनों पर ऐसी व्यवस्था पहले से ही लागू है और अब अगर इसे पूरे देश में अपनाया जाता है तो टिकट चेकिंग स्टाफ के लिए यह बड़ी राहत होगी।
लोको पायलट के लिए इस तरह की पहली परियोजना संजय सिंह ने बायोमेट्रिक साइन इन-साइन ऑफ प्रणाली की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि रेलवे के अन्य विभागों में यह व्यवस्था पहले से ही लागू है, लेकिन टिकट चेकिंग स्टाफ के लिए यह पहला पायलट प्रोजेक्ट है। इस प्रणाली से ड्यूटी टाइमिंग को लेकर किसी भी तरह की अनियमितता को खत्म करने में मदद मिलेगी। उन्होंने सभी टीटीई कर्मियों से इस पायलट प्रोजेक्ट को सफल बनाने में पूरा सहयोग देने की अपील की। रेलवे की यह पहल न केवल कर्मचारियों के हित में है बल्कि इसे यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने और रेलवे की सेवाओं में पारदर्शिता और विश्वास को और मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।