BRA Bihar University : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में संचालित होने वाले लॉ कोर्स के नए पाठ्यक्रम और अध्यादेश-विनियमन को विश्वविद्यालय के विभिन्न सांविधिक निकायों से मंजूरी नहीं मिल सकी है। पिछले दिनों एकेडमिक काउंसिल की बैठक हुई, लेकिन मंजूरी के लिए प्रस्ताव पेश नहीं हो सका। ऐसे में नए सत्र से सेमेस्टर सिस्टम में लॉ की पढ़ाई शुरू होने पर भी संशय है।
दूसरी ओर, विश्वविद्यालय ने पिछले साल ही सत्र 2024-25 से सेमेस्टर सिस्टम में लॉ की पढ़ाई शुरू करने का दावा किया था। राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर सिस्टम के तहत लॉ कोर्स की पढ़ाई हो रही है, लेकिन बीआरए बिहार विश्वविद्यालय का लॉ कोर्स अभी भी वार्षिक मोड में संचालित हो रहा है।
दूसरी ओर, हाल ही में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सेमेस्टर सिस्टम में लॉ कोर्स संचालित करने का निर्देश दिया है।
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में हाल ही में लॉ कोर्स के नए पाठ्यक्रम और अध्यादेश-विनियमन को अंतिम रूप देने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था। समिति ने 10 महीने से अधिक समय तक विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के विधि संस्थानों और बार काउंसिल की गाइडलाइन के आधार पर अद्यतन पाठ्यक्रम तैयार करते हुए सेमेस्टर सिस्टम में संचालित होने वाले कोर्स के लिए नया अध्यादेश-विनियम तैयार किया।
समिति स्तर से इसे विश्वविद्यालय को उपलब्ध करा दिया गया। इसके बावजूद पिछले दिनों हुई एकेडमिक काउंसिल की बैठक में इसे प्रस्तुत नहीं किया जा सका। ऐसे में सत्र 2025-26 के लिए भी सेमेस्टर सिस्टम में विधि पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू होने पर संशय है।
दूसरी ओर, विश्वविद्यालय का कहना है कि नए सत्र से सेमेस्टर सिस्टम में विधि की पढ़ाई होगी, लेकिन अब तक की तैयारियों को देखते हुए इस दावे पर सवाल उठ रहे हैं। एकेडमिक काउंसिल में प्रस्ताव न रखे जाने का कारण यह रहा कि इसके बाद हुई सिंडिकेट की बैठक में भी इस पर चर्चा नहीं हो सकी। ऐसे में सोमवार को सीनेट के समक्ष होने वाली सिंडिकेट की दूसरी बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा होने की उम्मीद बहुत कम है।
कमेटी ने जनवरी में विवि को उपलब्ध कराया था: पिछले वर्ष कुलपति प्रो. डीसी राय के निर्देश पर चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। इसमें विवि के पीजी राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार ओझा, तत्कालीन विधि पदाधिकारी डॉ. मयंक कपिला, पटना लॉ कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य प्रो. वाणी भूषण के साथ एसकेजे लॉ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. केकेएन तिवारी शामिल थे। कमेटी के सदस्य प्रो. अनिल कुमार ओझा ने बताया कि नया पाठ्यक्रम व अध्यादेश-विनियम जनवरी में ही तैयार कर विवि को उपलब्ध करा दिया गया है। विभिन्न वैधानिक निकायों से अनुमोदन व राजभवन से स्वीकृति के बाद इसे लागू किया जाना था।