जल्द ही भारत में स्टारलिंक इंटरनेट की सुविधा मिलने वाली है। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह बात कही है। स्टारलिंक दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क की टेलीकॉम कंपनी है। स्टारलिंक सैटेलाइट के माध्यम से इंटरनेट सुविधा प्रदान करती है। सिंधिया ने कहा कि स्टारलिंक जल्द ही भारत में अपना परिचालन शुरू करेगी। सैटेलाइट इंटरनेट को “टेलीकम्यूनिकेशन के गुलदस्ते में एक और फूल” बताते हुए सिंधिया ने भारत के कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ती डायवर्सिटी पर बात की।
स्पेक्ट्रम का होगा आवंटन
सिंधिया ने कहा, “मोबाइल और ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी के अलावा, सैटेलाइट कनेक्टिविटी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, खासकर दूर-दराज और दुर्गम क्षेत्रों में जहां फिजिकल रूप से केबल बिछाना चुनौतीपूर्ण होता है।” मंत्री ने पुष्टि की है कि स्टारलिंक को सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए तीसरा लाइसेंस मिलने वाला है। उन्होंने कहा, “इसके बाद, सरकार स्पेक्ट्रम का आवंटन करेगी और देश में यह सेवा जल्द ही शुरू हो जाएगी।”
इस महीने में मिल जाएगा लाइसेंस
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया कि 7 मई को आशय पत्र (LoI) प्राप्त होने के बाद स्टारलिंक को 7 जून तक अनुपालन आवश्यकताओं को पूरा करने का समय दिया गया है। कंपनी ने पहले ही प्रमुख सुरक्षा-संबंधी दस्तावेज जमा कर दिए हैं और नई लाइसेंस शर्तों को पूरा करने के लिए अंडरटेकिंग्स प्रदान किए हैं। अधिकारी ने कहा, “उन्हें इस महीने के भीतर लाइसेंस मिल जाएगा।”
कैसे काम करता है स्टारलिंक?
स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट की शुरुआत साल 2019 में हुई थी। इसके बाद से यह तेजी से बढ़ रहा है। डिमांड बढ़ने से इसके लिए काफी वेटिंग लिस्ट भी है। स्टारलिंक ग्राउंड स्टेशनों से पृथ्वी के करीब परिक्रमा करने वाले उपग्रहों के एक बड़े नेटवर्क तक रेडियो सिग्नल भेजकर इंटरनेट प्रदान करता है। ये सैटेलाइट डेटा को जमीन पर यूजर्स तक वापस बीम करते हैं। स्टारलिंक को स्ट्रांग बनाती है उसके सैटेलाइट की संख्या और उन सैटेलाइट्स का पृथ्वी के करीब परिक्रमा करना। पारंपरिक सैटेलाइट इंटरनेट आमतौर पर पृथ्वी से लगभग 22,000 मील ऊपर एक बड़े सैटेलाइट से चलता है। यह सैटेलाइट एक बस के आकार का होता है, जो 100-150 मेगाबिट्स प्रति सेकंड तक की गति प्रदान करता है। हालांकि, स्टारलिंक हजारों छोटे सैटेलाइट्स का संचालन करता है, जिनमें से प्रत्येक लगभग 22 फीट लंबा होता है, जो बहुत करीब उड़ते हैं। ये सैटेलाइट्स पृथ्वी से लगभग 550 किमी ऊपर होते हैं, जो पारंपरिक उपग्रहों की तुलना में लगभग 63 गुना करीब है। यह निकट दूरी देरी को कम करने में मदद करती है और स्टारलिंक को 20 से 250 मेगाबिट्स प्रति सेकंड तक की तेज इंटरनेट स्पीड प्रदान करने की अनुमति देती है।