PhD Admission : महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार पीएचडी छात्रों पर होने वाले खर्च को लेकर चिंता जता रहे हैं। गुरुवार को विधान परिषद में उन्होंने कहा कि छात्रों की संख्या, सामान्य छात्रवृत्ति समेत कई मामलों में एक समान नीति पर विचार किया जा रहा है। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि पीएचडी कोर्स में कितने छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा, लेकिन उनकी संख्या सीमित करने का जिक्र किया है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के एमएलसी संजय खोडके और कांग्रेस एमएलसी अभिजीत वंजारी ने सारथी यानी छत्रपति शाहू महाराज शोध, प्रशिक्षण एवं मानव विकास संस्थान द्वारा किराया भत्ता और आकस्मिक निधि के वितरण से जुड़ा सवाल पूछा था। इसका जवाब डिप्टी सीएम पवार दे रहे थे। उन्होंने कहा कि छात्रों की संख्या, सामान्य छात्रवृत्ति, विदेशी छात्रवृत्ति और शिक्षण संस्थानों के लिए प्रवेश प्रक्रिया के लिए एक समान नीति पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘साल 2018 से 2025 तक सारथी के तहत 83 पाठ्यक्रमों में करीब 3 लाख छात्रों को सरकारी छात्रवृत्ति, शिक्षण शुल्क सहायता और अन्य योजनाओं का लाभ मिला। हालांकि, 750 करोड़ रुपये में से 280 करोड़ रुपये पीएचडी करने वाले 3000 छात्रों पर खर्च किए गए। इससे पता चलता है कि 5 साल में प्रति छात्र औसत 30 लाख रुपये है। इस आंकड़े पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा कि BARTI (बाबा अंबेडकर शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान), SARTHI, महाज्योति (महात्मा ज्योतिबा फुले शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान) और ARTI (अन्ना भाऊ साठे शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान) के तहत सीमित छात्रों को पीएचडी में प्रवेश दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हमने सटीक आंकड़े पर फैसला नहीं किया है, लेकिन जल्द ही इस पर फैसला लेंगे।’
उन्होंने यह भी कहा कि प्रवेश केवल उन पाठ्यक्रमों तक सीमित होंगे जिनमें रोजगार की संभावनाएं साबित हुई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्य सचिव द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट प्राप्त हो गई है और इस संबंध में जल्द ही घोषणा की जाएगी।