कोविड महामारी ने लोगों को अपने घर की अहमियत से रूबरू कराया। इसका के बाद प्रॉपर्टी की मांग में जबरदस्त उछाल देखने को मिला। कोरोना के बाद पिछले 4 साल तक प्रॉपर्टी की मांग जबरदस्त तेजी रही। हालांकि, मांग के साथ कीमत अनाप-शनाप बढ़ने से फ्लैट की मांग में अब सुस्ती आ गई है। आपको बता दें कि देश के आठ प्रमुख रेजिडेंशियल मार्केट में बिक्री अप्रैल-जून में सालाना आधार पर 14 प्रतिशत घटकर 97,674 इकाई रह गई। इससे साफ पता चलता है कि फ्लैट की मांग गिरी है। हालांकि, इसका असर जमीन की मांग पर नहीं हुआ है। घर बनाने के लिए लैंड की मांग में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। आइए जानते हैं कि होम बायर्स के बीच फ्लैट नहीं, प्लॉट क्यों बना पहली पसंद।
रिकॉर्ड रेजिडेंशियल लैंड की बिक्री
प्रॉपइक्विटी की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड महामारी के बाद देश में घर बनाने के लिए जमीन की मांग बढ़ी है। इस मांग को पूरा करने के लिए पिछले साढ़े तीन साल में 2.44 लाख करोड़ रुपये के आवासीय भूखंड पेश किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी, 2022 से मई, 2025 के बीच बेंगलुरु और रायपुर समेत 10 महानगरों और मझोले (टियर-1 और टियर-2) शहरों में रियल एस्टेट कंपनियों ने लगभग 4.7 लाख आवासीय भूखंड पेश किए हैं। ये 10 शहर हैं। हैदराबाद, इंदौर, बेंगलुरु, चेन्नई, नागपुर, जयपुर, कोयंबटूर, मैसूर, रायपुर और सूरत। प्रॉपइक्विटी ने कहा कि 2025 के पहले पांच महीनों के दौरान 45,591 आवासीय भूखंड पेश किए गए हैं।
इसलिए लैंड की मांग बढ़ी
प्रॉपइक्विटी के सीईओ, समीर जसूजा के अनुसार,पिछले कुछ वर्षों में घर बनाने के लिए जमीन की मांग बढ़ी है। इसका कारण अपार्टमेंट की तुलना में जमीन की कीमत बढ़ने की संभावना अधिक होती है। साथ इसे बेचना भी आसान होता है। जसूजा ने कहा कि कई संभावित ग्राहक जमीन पसंद करते हैं क्योंकि वे अपने रहने की जगह को अपने हिसाब से बनाना पसंद करते हैं।
बेंगलुरु की रियल एस्टेट कंपनी संजीवनी ग्रुप के चेयरमैन और संस्थापक उमेशा गौड़ा एच.ए ने कहा कि घर के लिए जमीन की बढ़ती मांग, घर खरीदारों की प्रकृति से निकटता, निजता और अपने हिसाब से मकान बनाने की बढ़ती प्राथमिकता के कारण लैंड की मांग बढ़ रही है। मेट्रो से टियर टू और थ्री शहरों की बेहतर कनक्टिविटी भी लैंड की मांग बढ़ा रहा है। इसके चलते होम बायर्स मेट्रो शहरों से सटे शहरों में बसना पसंद कर रहे हैं। वे वहां फ्लैट नहीं, प्लॉट खरीद रहे हैं। देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से शहरों के बीच दूरी कम हो गई है। इसका भी फायदा लोगों को मिला है। वहीं, रिपोर्ट के अनुसार,कंपनियों के लिए, लैंड को बेचना आसान होता है। लैंड की बिक्री अपार्टमेंट की तुलना में तेज होती है और शुरुआती निवेश कम होता है।