बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल को प्रभावी रूप से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दिया है। जातिगत और आर्थिक आरक्षण वाली 60 फीसदी सीटें पहले से ही बिहार के लोगों के लिए आरक्षित थीं। नीतीश कैबिनेट ने बिहार सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए 2016 से लागू 35 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का दायरा अब बिहार की मूल निवासी महिलाओं के लिए भी सुरक्षित कर दिया है। इसका वास्तविक असर अनारक्षित श्रेणी के 40 फीसदी पदों पर पड़ेगा, जिसमें 35 फीसदी 14 होता है। नीतीश कैबिनेट के फैसले से एक तरह से 74 फीसदी पदों पर डोमिसाइल प्रभावी हो गया है।
अब दूसरे राज्यों की लड़कियों को बाहर के लड़कों की तरह अनारक्षित (सामान्य) सीटों की मेरिट लिस्ट में जगह बनानी होगी। बिहार में तीन चरणों में पूरी हुई शिक्षक भर्ती में बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल समेत दूसरे राज्यों की महिलाएं चयनित हुई हैं बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों की लड़कियों के नौकरी पाने के बाद विधानसभा में सवाल उठा था, जिसके बाद सरकार पर बिहार में महिला आरक्षण को लेकर दबाव था. इसी उद्देश्य से यह फैसला लिया गया है.
अगर आपके मन में भी सवाल है कि बिहार में सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल 74 फीसदी कैसे हो गया, तो इसका गणित समझिए. जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने 9 नवंबर 2023 को जातिगत आरक्षण बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया था, जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया. फिलहाल बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) को 18 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 12 फीसदी, अनुसूचित जाति (एससी) को 16 फीसदी, अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 1 फीसदी और ओबीसी महिलाओं को 3 फीसदी आरक्षण प्राप्त है. इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 10 फीसदी कोटा मिला हुआ है. कुल 60 फीसदी. इन पदों पर डोमिसाइल पहले से ही लागू है.
नीतीश सरकार 2016 से ही सभी सरकारी भर्तियों में महिलाओं को 35 फीसदी क्षैतिज आरक्षण दे रही है. उदाहरण के लिए अगर ओबीसी के 100 पद हैं तो उनमें से 35 महिलाओं को मिलेंगे. जातिगत आरक्षण वाले पदों पर बिहार का डोमिसाइल लागू है. इसका मतलब ये हुआ कि ओबीसी, ईबीसी, एससी, एसटी और ईडब्ल्यूएस पदों पर बिहार के लोगों को ही नौकरी मिल रही थी, इसलिए महिलाएं भी बिहार की ही थीं. बाकी 40 फीसदी सीटें अनारक्षित थीं, जिसके लिए राज्य और दूसरे राज्यों के सभी तरह के आवेदक नौकरी का फॉर्म भरते थे. उन 40 फीसदी अनारक्षित पदों पर भी 35 फीसदी महिला आरक्षण लागू है. 40 का 35 फीसदी मिलाकर 14 होता है. इसका मतलब ये हुआ कि सरकार ने 40 फीसदी अनारक्षित पदों पर 14 फीसदी महिलाओं की नियुक्ति की गारंटी दी थी. नीतीश कैबिनेट के ताजा फैसले से ये 14 पद अब उन महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगे जो बिहार की मूल निवासी हैं. इसके बाद बाकी 26 फीसदी अनारक्षित पदों पर बिहार और दूसरे राज्यों के सामान्य वर्ग के लोग आवेदन कर सकेंगे.