Provident Fund Of Professionals Working Abroad : भारत विदेश में नौकरी छोड़कर बिना अपना सामाजिक सुरक्षा अंशदान यानी प्रोविडेंट फंड चुकाए वापस लौटने वाले भारतीय पेशेवरों की बचत वापस पाने का रास्ता बना रहा है। इसी प्रयास के तहत ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक के देशों के साथ बातचीत की जा रही मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में सामाजिक सुरक्षा समझौते (एसएसए) को अनिवार्य हिस्सा बनाने पर चर्चा हो रही है।
ब्रिटेन ने भारत और ब्रिटेन के बीच सहमति बन चुके एफटीए में एसएसए को हिस्सा बनाने पर सहमति जताई है। वहीं, अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापार समझौते में सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों को शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। श्रम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, मुक्त व्यापार समझौते के लिए कई देशों के साथ चल रही बातचीत में सामाजिक सुरक्षा को हिस्सा बनाने पर भारत के जोर देने की वजह यह है कि बड़ी संख्या में भारतीय पेशेवरों का विदेश में काटा गया सामाजिक सुरक्षा अंशदान नहीं चुकाया गया है।
प्रोविडेंट फंड वापस नहीं किया जाता
अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक पूरी दुनिया में भारतीय पेशेवरों की सबसे ज्यादा मांग और संख्या है, क्योंकि वे अपनी कार्यकुशलता और क्षमता के कारण सबसे ज्यादा मांग और संख्या में हैं। हालांकि, जब वे कुछ साल विदेश में काम करने के बाद अपने देश लौटते हैं, तो ये देश भारत में सामाजिक सुरक्षा की कमी का हवाला देकर उनके प्रोविडेंट फंड में काटे गए अंशदान की राशि वापस नहीं करते हैं। एफटीए में सामाजिक सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों को शामिल करने के बाद भारतीयों के लिए विदेश में प्रोविडेंट फंड में फंसा पैसा वापस पाने का रास्ता खुल जाएगा।
इस क्रम में ब्रिटेन संभवत: पहला देश होगा, जो भारत के साथ किए जा रहे एफटीए में सामाजिक सुरक्षा समझौते को भी एक अंतर्निहित घटक के रूप में शामिल करेगा। विदेश में काम कर रहे पेशेवर भारतीयों के हित में सामाजिक सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताते हुए केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस संबंध में कहा कि उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय से भविष्य में होने वाली सभी एफटीए वार्ताओं में सामाजिक सुरक्षा समझौते को शामिल करने का अनुरोध किया है।
ब्रिटेन एसएसए पर सहमत सूत्रों के अनुसार,
ब्रिटेन एसएसए को एफटीए में शामिल करने पर सहमत हो गया है। इससे नौकरी छोड़कर वापस लौटने वाले पेशेवरों को फायदा होगा। श्रम मंत्रालय सामाजिक सुरक्षा संस्था ईपीएफओ को पैसा वापस करने के लिए माध्यम के रूप में अधिकृत करेगा। सामाजिक सुरक्षा समझौता दो या दो से अधिक देशों के बीच एक पारस्परिक व्यवस्था है जो यह सुनिश्चित करती है कि किसी कर्मचारी को विदेश में नौकरी के दौरान उस देश के सामाजिक सुरक्षा कवरेज फंड में योगदान नहीं करना पड़ता है। लेकिन पेंशन गणना के लिए रोजगार अवधि का पूरा लाभ मिलता है।
जबकि नियोक्ता अपने कर्मचारियों की ओर से दोहरा सामाजिक सुरक्षा अंशदान करने से बच जाते हैं। ब्रिटेन के साथ एफटीए में एसएसए को शामिल करने के बाद भारतीय कंपनियां ब्रिटेन में तैनात अपने पेशेवरों का पीएफ अंशदान तीन साल तक ईपीएफओ में जमा कर सकेंगी। वर्तमान में भारत का जापान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, कनाडा, ब्राजील और स्वीडन समेत 22 देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौता है।