Toothpaste Or Gul : लाल और गुल मंजन की आदत से कैंसर व दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी.

 Toothpaste Or Gul : बचपन से लाल दंत और गुल मंजन के इस्तेमाल की आदत अब युवाओं में कैंसर और हृदय रोग देने लगी है। जिले में हो रही कैंसर जांच से लेकर कार्डियोलॉजी ओपीडी के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि लंबे समय से लाल दंत मंजन के इस्तेमाल की आदत जहां युवाओं को कैंसर का मरीज बना रही है, वहीं गुल मंजन का अधिक इस्तेमाल लोगों के दिल को कमजोर कर रहा है। हालांकि जिले में कैंसर के मरीजों की संख्या अधिक नहीं है, लेकिन इसके मरीजों का बढ़ता प्रतिशत चिंता का विषय है।

पिछले साल जिले के विभिन्न केंद्रों पर गैर संचारी रोगों के तहत बीपी-शुगर के साथ कैंसर की जांच की गई थी। बिहार के भागलपुर में कैंसर की जांच होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की टीम ने की थी। जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. पंकज कुमार मनस्वी ने बताया कि मार्च 2024 से जनवरी 2025 के बीच जिले में कैंसर की जांच और उसके बाद की जांच के बाद कुल 29 मुंह के कैंसर के मरीज मिले।

इनमें 28 पुरुष और एक महिला को मुंह का कैंसर पाया गया। इसमें मुंह के कैंसर के सात मरीज ऐसे मिले, जो तंबाकू, पान मसाला, पान या किसी अन्य प्रकार के तंबाकू के आदी नहीं थे। लेकिन इन लोगों को कई वर्षों से नियमित आधे घंटे से एक घंटे तक लाल टूथपेस्ट चबाने की आदत थी। कई महिलाओं में लाल टूथपेस्ट चबाने की आदत पाई गई, लेकिन उनमें मुंह के कैंसर की पुष्टि नहीं हुई।

जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल से संबद्ध सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में तीन सितंबर 2024 से कार्डियोलॉजी ओपीडी का संचालन किया जा रहा है। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमित शंकर बताते हैं कि यहां ओपीडी में औसतन 12 से 15 हृदय रोगी इलाज के लिए आते हैं। इनमें से करीब 30 फीसदी हृदय रोगियों में गुल मंजन या तंबाकू के सेवन की आदत पाई गई। ऐसे रोगियों की हृदय की नसें सामान्य हृदय रोग रोगियों की तुलना में 50 फीसदी कमजोर पाई गई।

डॉ. सुमित के अनुसार गुल का इस्तेमाल लोग टूथपेस्ट के रूप में करते हैं। जबकि यह भी एक खतरनाक पिसा हुआ तंबाकू है। इसके सेवन से हृदय की कोरोनरी कोशिकाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। कोशिकाओं में रक्त की आपूर्ति कम हो रही है। जिससे कोशिकाएं फैल रही हैं (हृदय का फैलना और सिकुड़ना)।

जांच से पता चला है कि गुल मंजन के इस्तेमाल से लोगों के हृदय के आकार में असामान्य वृद्धि, हृदय की मांसपेशियों की दीवारों की मोटाई और हृदय की मांसपेशियों के बढ़ने और सिकुड़ने की समस्या हो रही है। इसके कारण हृदय की पंपिंग क्षमता कम हो रही है। इसे डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी कहते हैं। इसके मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जबकि सात से आठ फीसदी मरीजों को एंजियोप्लास्टी करानी पड़ रही है।

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