PCOS में महिलाओं को हो सकती है ‘दिमाग’ से जुड़ी ये दिक्कत.

आजकल खराब खान पान और बिजी लाइफस्टाइल के चलते शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने पर महिलाओं को पीसीओडी और पीसीओएस की समस्या का सामना करना पड़ता है. पीसीओडी और पीसीओएस की समस्या होने पर पीरियड्स में गड़बड़ी,शरीर के कुछ हिस्सों में बालों की बढ़ोत्तरी और यहां तक की इंफर्टिलिटी का सामना करना पड़ता है. पीसीओडी और पीसीओएस होने पर अंडाशय में एक या एक से अधिक सिस्ट होते हैं जो हार्मोन के असंतुलन का कारण बनते हैं.

एक नई स्टडी में, आईआईटी बॉम्बे के रिसर्चर्स ने पाया कि पीसीओडी और पीसीओएस सिर्फ शारीरिक बल्कि संज्ञानात्मक हेल्थ (Cognitive health) को भी प्रभावित करता है. स्टडी में पाया गया कि पीसीओएस की समस्या से जूझ रही महिलाओं में फोकस की कमी पाई गई और उनके रिस्पॉन्स की स्पीड 56 फीसदी धीमी थी और एक्यूरेसी 10 फीसदी कम थी.

इंसुलिन रेजिस्टेंस और हाई एंड्रोजन लेवल

स्टडी में पाया गया कि पीसीओएस वाली महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस और हाई एंड्रोजन लेवल पाए गए, जो फोकस को प्रभावित करते हैं. इंसुलिन रेजिस्टेंस खराब ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म का कारण बनता है और ब्रेन सेल एक्टिविटी को प्रभावित करता है, जिससे ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होती है.

ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत

ध्यान केंद्रित करना एक मुश्किल प्रक्रिया है जिसमें जरूरी बातों पर ध्यान केंद्रित करना और गैर जरूरी बातों को फिल्टर करना शामिल है. पीसीओएस वाली महिलाओं में ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत पाई गई, जिससे उन्हें रोजाना के काम में परेशानी हो सकती है, जैसे कि दिशा-निर्देशों का पालन करना या फोन नंबर याद रखना.

डिवाइडेड अटेंशन

डिवाइडेड अटेंशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक से ज्यादा कामों को संभालना शामिल है. पीसीओएस वाली महिलाओं में डिवाइडेड अटेंशन में कमी पाई गई, जिससे उन्हें एक ही समय में कई कामों को करने में परेशानी हो सकती है.

निष्कर्ष

स्टडी से पता चला है कि पीसीओएस एक मुश्किल मेडिकल कंडीशन है जो फिजिकल और संज्ञानात्मक हेल्थ (cognitive health) दोनों को प्रभावित करती है.

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