Patna High Court : पटना हाई कोर्ट का आदेश स्थानीय निकाय शिक्षकों की नियुक्ति पर सरकार तीन सप्ताह में दे हलफनामा.

Patna High Court : पटना उच्च न्यायालय ने स्थानीय निकायों के तहत नियुक्त शिक्षकों से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

साथ ही कोर्ट ने सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि जिला स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति उनके योगदान के अनुपात में ही की जाए। न्यायमूर्ति नानी तागिया की एकलपीठ ने कुमार गौरव व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया।

यह नियुक्ति 2012 के नियमों के तहत की गई थी

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता आशीष गिरि और अधिवक्ता सुमित कुमार झा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता शिक्षक हैं, जिनकी नियुक्ति बिहार पंचायती प्रारंभिक शिक्षक (नियुक्ति एवं सेवा शर्त) नियमावली, 2012 के तहत हुई थी।

वर्ष 2023 में राज्य सरकार ने बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली, 2023 लागू की, जिसका उद्देश्य स्थानीय निकायों के शिक्षकों को राज्य स्तरीय सेवा शर्तों के अनुरूप लाना है। नये नियमों के तहत इन शिक्षकों को “विशिष्ट शिक्षक” का दर्जा दिए जाने से पहले योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया।

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, पटना ने 25 जनवरी 2024 को विज्ञापन जारी कर शिक्षकों को इस योग्यता परीक्षा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। सभी याचिकाकर्ताओं ने समय पर आवेदन प्रस्तुत किया तथा अपनी पसंद के जिलों का विकल्प भी प्रस्तुत किया।

सभी याचिकाकर्ताओं को फरवरी 2024 में आयोजित परीक्षा में सफल घोषित किया गया और उसके बाद दस्तावेज सत्यापन और काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी की गई। 20 नवंबर 2024 को अधिकांश याचिकाकर्ताओं को उनकी वरीयता एवं योग्यता के आधार पर अस्थायी नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख था कि नियुक्ति बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली, 2023 के तहत की गई है।

नियुक्ति पत्र रद्द कर दिए गए।

हालाँकि, इसके बाद राज्य सरकार द्वारा उक्त नियमों में संशोधन किया गया और संशोधित नियमों के तहत पूर्व में जारी नियुक्ति पत्रों को रद्द कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं को अपने पूर्व कार्यस्थल पर पुनः योगदान देने का निर्देश दिया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि नियुक्ति प्रक्रिया उन नियमों के प्रारूप के तहत पूरी की गई थी जो नियुक्ति के समय लागू थे। ऐसी स्थिति में संशोधित नियमों को पूर्वव्यापी प्रभाव देना उनके वैधानिक एवं अर्जित अधिकारों का उल्लंघन होगा।

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्ट स्थिति पेश करने को कहा है और निर्देश दिया है कि नियुक्तियों में पारदर्शिता बरतते हुए जिलावार अंशदान के आधार पर सीटों का आरक्षण सुनिश्चित किया जाए। इस मामले की सुनवाई तीन सप्ताह में होगी।

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