Gramin Bank : उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के विलय के बाद बिहार में एक मात्र ग्रामीण बैंक (बिहार ग्रामीण) एक मई से अपनी सेवाएं दे रहा है। अब इसका आईपीओ आएगा।
दरअसल ग्रामीण बैंकों के विलय का एक बड़ा उद्देश्य आईपीओ लाना भी था। दैनिक जागरण ने पिछले साल दिसंबर में इस बारे में स्पष्ट भी किया था।
हालांकि वित्त मंत्रालय ने सभी प्रायोजक बैंकों को आईपीओ जारी करने का निर्देश जारी किया है। ग्रामीण बैंक यूनियनों ने इसे निजीकरण की प्रक्रिया बताते हुए देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है।
ग्रामीण बैंक में भारत सरकार की 50 फीसदी हिस्सेदारी है, प्रायोजक बैंक की 35 फीसदी और राज्य सरकार की 15 फीसदी हिस्सेदारी है। भारत सरकार अपने 36 फीसदी शेयरों का विनिवेश कर बाजार से पूंजी जुटाना चाहती है। इसके लिए वह वर्ष 2015 से ही प्रयास कर रही थी, लेकिन ग्रामीण बैंकों की अपेक्षाकृत कमजोर वित्तीय स्थिति के कारण अब तक आईपीओ जारी नहीं किया जा सका। विलय के बाद अब प्रत्येक राज्य में एक ग्रामीण बैंक है और उनकी आधार पूंजी आईपीओ जारी करने के लिए पात्र हो गई है।
बैठक और रणनीति
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के यूनियनों की संयुक्त बैठक रविवार को हुई। इसका उद्घाटन करते हुए यूनाइटेड फोरम ऑफ ग्रामीण बैंक यूनियंस के महासचिव डीएन त्रिवेदी ने कहा कि सरकार आईपीओ जारी कर ग्रामीण बैंक का निजीकरण करना चाहती है। इसका राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिकार किया जाएगा।
संयुक्त बैठक को बिहार प्रांतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव अनिरुद्ध कुमार, एआईबीओए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुमार अरविंद, मो. नदीम अख्तर, नीरज चौधरी, राजीव प्रकाश और कुंदन कुमार राय ने संबोधित किया। बैठक की अध्यक्षता प्रदीप कुमार मिश्रा और ब्रह्मेश्वर कुमार ने की।