New Rules For Emergency Treatment : बिहार सरकार ने आपातकालीन मरीजों के इलाज में लापरवाही रोकने और उन्हें समय पर बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने नए मानक के तहत राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पतालों को निर्देश जारी किए हैं। अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अस्पताल प्रबंधन को निर्देश दिया कि गंभीर मरीजों के इलाज में एक मिनट की भी देरी नहीं होनी चाहिए।
यह कदम हाल ही में मुजफ्फरपुर के पीएमसीएच और एसकेएमसीएच में दुष्कर्म पीड़िता की मौत के बाद उठाया गया है, जहां इलाज में लापरवाही के आरोपों के बाद जांच और कार्रवाई की गई थी।
हर अस्पताल में बनेगी कोर टीम
नई व्यवस्था के तहत अब हर अस्पताल में आपातकालीन मामलों के लिए एक कोर टीम बनेगी। इस टीम में एक कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर, चार नर्स, एक फार्मासिस्ट, एक लैब टेक्नीशियन, एक एक्स-रे टेक्नीशियन और दो ड्रेसर के साथ सहयोगी स्टाफ तीनों शिफ्ट में 24 घंटे तैनात रहेंगे। इलाज में सामूहिक जिम्मेदारी तय की गई है।
बेड की कमी का हवाला न दें
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब किसी भी गंभीर मरीज को बेड की कमी का हवाला देकर इलाज से इनकार नहीं किया जा सकेगा। ऐसे मामलों में कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा होती है, जिससे अस्पताल की छवि खराब होती है।
अस्पतालों को यह भी कहा गया है कि आपातकालीन मरीजों के इलाज के लिए विभागीय समन्वय बहुत जरूरी है। कई मामलों में बहु-विषयक उपचार की जरूरत होती है, ऐसे में सभी विभागों को तुरंत सक्रिय होना होगा।
हर महीने समीक्षा बैठक आयोजित की जाए
सभी अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि वे हर महीने समीक्षा बैठक कर उपलब्ध सुविधाओं का आकलन करें और कर्मचारियों को जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाते रहें। स्वास्थ्य विभाग के इस सख्त रुख को आपातकालीन सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।