American Court Gave Relief To International Students : डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी सरकार ने लाखों लोगों को निर्वासित किया है। अब अमेरिकी प्रशासन छात्रों को भी निशाना बना रहा है। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने छात्र वीजा धारकों की भी जांच के लिए ‘कैच एंड रिवोक’ कार्यक्रम की घोषणा की थी। इसके तहत यहूदी विरोधियों और फिलिस्तीन समर्थकों की पहचान की जानी थी। अमेरिकी प्रशासन ने बड़ी संख्या में विदेशी छात्रों के वीजा रद्द कर दिए थे। इसमें बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी शामिल थे। अब जॉर्जिया की एक जिला अदालत ने कम से कम 133 छात्रों को राहत दी है। जॉर्जिया की अदालत ने एक अस्थायी निरोधक आदेश (टीआरओ) जारी कर छात्रों के निर्वासन पर रोक लगा दी है। आपको बता दें कि छात्रों को अचानक सूचित किया गया था कि उनका एक्सचेंज विजिटर इंफॉर्मेशन सिस्टम बंद किया जा रहा है और अब उनका अमेरिका में रहना अवैध है। साथ ही अदालत ने होमलैंड सुरक्षा विभाग को आदेश जारी करते हुए कहा कि छात्रों के वीजा इस तरह तुरंत रद्द नहीं किए जा सकते। जाहिर है अमेरिकी कोर्ट के इस आदेश से भारतीय छात्रों को भी राहत मिली है। जानकारी के मुताबिक जिन छात्रों का वीजा रद्द किया गया है, उनमें से आधे भारतीय हैं।
एफ1 वीजा धारकों ने कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि उन्हें अवैध तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। कई छात्रों की डिग्री पूरी होने में कुछ ही हफ्ते बचे हैं। इसके अलावा कई छात्र ऑप्टिकल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के तहत काम करना चाहते हैं। वे पढ़ाई के बाद एक साल तक काम कर सकते हैं। कुछ स्ट्रीम के छात्रों के लिए दो साल काम करने की छूट भी है।
छात्रों का कहना है कि उनका एसईवीआईएस गलत तरीके से बंद किया गया। उनका कोई आपराधिक बैकग्राउंड भी नहीं था और उन्होंने वीजा के लिए सभी जरूरी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली थीं। छात्रों का कहना है कि इस तरह से वीजा रद्द करना बेहद आपत्तिजनक है क्योंकि प्रशासन ने उचित नोटिस भी नहीं दिया। छात्रों को जवाब देने का समय भी नहीं दिया गया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की अचानक कार्रवाई करने से छात्रों की पढ़ाई और करियर को नुकसान पहुंचेगा।