नेपाल में राजशाही समर्थक ताकतें एक बार फिर सड़कों पर उतर आई हैं। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के नेतृत्व में रविवार को राजधानी काठमांडू में हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने राजशाही की बहाली और देश को पुनः हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग को लेकर संसद भवन और प्रधानमंत्री आवास तक को घेर लिया।
प्रदर्शन की मुख्य बातें:
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“गणतंत्र मुर्दाबाद”, “हमें राजशाही चाहिए” जैसे नारों से राजधानी की सड़कें गूंज उठीं।
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करीब 1,500 प्रदर्शनकारी बिजुलीबाजार-बनेश्वर क्षेत्र में जुटे थे।
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प्रदर्शन में आरपीपी अध्यक्ष राजेंद्र लिंगदेन, वरिष्ठ नेता पशुपति शमशेर राणा और पूर्व पुलिस प्रमुख ध्रुव बहादुर प्रधान शामिल रहे।
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विरोध प्रदर्शन प्रतिबंधित क्षेत्रों में किया गया, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया।
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नयां बनेश्वर, मैतीघर, भद्रकाली और बालुवाटार में दंगा नियंत्रण बल की भारी तैनाती की गई।
शिक्षक भी उतरे सड़कों पर:
प्रदर्शन केवल राजनीतिक नहीं रहा। इसी दिन हजारों स्कूली शिक्षक भी शिक्षा में सुधार और वेतन वृद्धि की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे। शिक्षक प्रदर्शन और आरपीपी के विरोध के कारण काठमांडू में सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई।
क्या है आरपीपी की मांगें?
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नेपाल में राजशाही की पुनः बहाली।
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देश को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए।
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भ्रष्टाचार से जूझ रही सरकार को हटाया जाए।
आरपीपी ने स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
राजनीतिक पृष्ठभूमि:
नेपाल ने 2008 में राजशाही समाप्त कर गणराज्य प्रणाली अपनाई थी। लेकिन आज भी देश के एक हिस्से में राजशाही के प्रति लगाव बना हुआ है, खासकर उन वर्गों में जो वर्तमान सरकार से नाराज हैं या जिन्हें लगता है कि राजशाही काल में राजनीतिक स्थिरता और धार्मिक पहचान बेहतर थी।