इंडोनेशिया के सेरम द्वीप पर सोमवार की रात धरती अचानक हिल उठी, जब रिक्टर स्केल पर 5.5 तीव्रता वाला भूकंप दर्ज किया गया। गहराई कम होने की वजह से झटके तेज महसूस हुए और लोगों में दहशत फैल गई। हालांकि राहत की बात यह रही कि अब तक किसी जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।
सेरम द्वीप पर तेज झटके, घबराए लोग
जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेस (GFZ) के अनुसार, भूकंप का केंद्र ज़मीन से मात्र 10 किलोमीटर नीचे था, जिससे झटकों की तीव्रता काफी तेज रही। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) की रिपोर्ट के मुताबिक, यह भूकंप रात 11:50 बजे (IST) सुलावेसी के कोटामोबागु के दक्षिण-पूर्व में आया।
दिल्ली समेत उत्तर भारत में भी महसूस हुए झटके
इससे कुछ दिन पहले, 19 अप्रैल को उत्तर भारत के कई हिस्सों—दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान में भी दोपहर 12:18 बजे भूकंप के हल्के झटके दर्ज किए गए थे। इसका केंद्र अफगानिस्तान में था और इसकी तीव्रता 5.8 मापी गई। झटकों की गहराई 130 किलोमीटर थी, इसलिए दिल्ली में इसका असर हल्का रहा।
इंडोनेशिया: भूकंपों का केंद्र
इंडोनेशिया भूगर्भीय दृष्टि से ‘रिंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में आता है, जो दुनिया का सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र है। इस क्षेत्र में दुनिया के 75% सक्रिय ज्वालामुखी मौजूद हैं और 90% भूकंप इसी इलाके में आते हैं। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, बड़े भूकंपों में से 80% से अधिक इसी क्षेत्र में होते हैं। यही वजह है कि इंडोनेशिया में भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट आम घटनाएं बन चुकी हैं।
भूकंप के खतरे और तैयारी की ज़रूरत
हालांकि सेरम द्वीप पर हुए इस ताजा भूकंप से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह घटना एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयारी कितनी अहम है। विशेष रूप से ऐसे क्षेत्र, जो भूगर्भीय गतिविधियों की दृष्टि से संवेदनशील हैं, उन्हें आपदा प्रबंधन और समय रहते अलर्ट सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है।