NMC Ease Rules : राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने चिकित्सा शिक्षकों के लिए नियमों में ढील दी है। नए नियमों के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में 10 साल का अनुभव रखने वाले गैर-शिक्षण विशेषज्ञ या सलाहकार अब एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किए जा सकेंगे।
दो साल के अनुभव वाले विशेषज्ञ अनिवार्य ‘वरिष्ठ रेजीडेंसी’ के बिना सहायक प्रोफेसर के रूप में काम कर सकते हैं। इस निर्णय का उद्देश्य पात्र संकाय सदस्यों (शिक्षकों) की संख्या बढ़ाना है। नए नियमों में यह भी प्रावधान है कि 220 से अधिक बिस्तरों वाले गैर-शिक्षण सरकारी अस्पतालों को अब शिक्षण संस्थान के रूप में नामित किया जा सकता है।
क्या है नया नियम?
हाल ही में अधिसूचित चिकित्सा संस्थान (संकाय की योग्यता) विनियम, 2025 में कहा गया है कि कम से कम 220 बिस्तरों वाले सरकारी अस्पताल में कम से कम दो साल के अनुभव के साथ पीजी मेडिकल डिग्री रखने वाला गैर-शिक्षण सलाहकार या चिकित्सा अधिकारी वरिष्ठ रेजीडेंट के रूप में अनुभव की आवश्यकता के बिना सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पात्र होगा। उसे नियुक्ति के दो साल के भीतर बायोमेडिकल रिसर्च में एक बुनियादी कोर्स पूरा करना होगा।
नए नियमों का उद्देश्य क्या है?
एनएमसी के तहत पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (पीजीएमईबी) द्वारा लाए गए इन नियमों का उद्देश्य पात्र संकाय सदस्यों की संख्या बढ़ाना और देश के मेडिकल कॉलेजों में स्नातक (एमबीबीएस) और स्नातकोत्तर (एमडी/एमएस) सीटों के विस्तार की सुविधा प्रदान करना है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अगले पांच वर्षों में 75 हजार नई मेडिकल सीटें बनाने की घोषणा की है। हालांकि, मेडिकल कोर्स शुरू करने या विस्तार करने के लिए आवश्यक योग्य फैकल्टी की उपलब्धता एक बड़ी बाधा रही है। नए नियम मौजूदा मानव संसाधन क्षमता को बढ़ाने और चिकित्सा शिक्षा के बुनियादी ढांचे को अनुकूलित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
दो संकाय सदस्यों और दो सीटों के साथ शुरू किए जा सकेंगे पीजी कोर्स
पीजी कोर्स अब दो संकाय सदस्यों और दो सीटों के साथ शुरू किए जा सकेंगे, जबकि पहले तीन संकाय और एक सीनियर रेजिडेंट की आवश्यकता होती थी। मान्यता प्राप्त सरकारी मेडिकल संस्थानों में तीन साल के शिक्षण अनुभव वाले वरिष्ठ सलाहकार प्रोफेसर के पद के लिए पात्र हैं।
सरकारी चिकित्सा संस्थानों के संबंधित विभागों में विशेषज्ञ या चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यरत डिप्लोमा धारक, जिनके पास छह वर्ष का अनुभव है, सहायक प्रोफेसर के पद के लिए पात्र होंगे। नए नियमों में कहा गया है कि एनएमसी या किसी विश्वविद्यालय या राज्य चिकित्सा परिषद या चिकित्सा शिक्षा विभाग या चिकित्सा अनुसंधान से संबंधित सरकारी संगठन में संकाय सदस्य द्वारा की गई पांच वर्ष की सेवा को शिक्षण अनुभव माना जाएगा।
एनएमसी या किसी विश्वविद्यालय या राज्य चिकित्सा परिषद या चिकित्सा शिक्षा विभाग या चिकित्सा अनुसंधान से संबंधित सरकारी संगठन में संकाय सदस्य द्वारा की गई अधिकतम पांच वर्ष की सेवा को शिक्षण अनुभव माना जाएगा। नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों को अब स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम एक साथ शुरू करने की अनुमति है।
सीनियर रेजिडेंट के रूप में नियुक्ति के लिए आयु सीमा बढ़ाई
गई एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, फार्माकोलॉजी, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फोरेंसिक मेडिसिन जैसे प्री-क्लिनिकल और पैरा-क्लिनिकल विषयों में सीनियर रेजिडेंट के रूप में नियुक्ति के लिए ऊपरी आयु सीमा बढ़ाकर 50 वर्ष कर दी गई है।
स्नातकोत्तर योग्यता वाले उम्मीदवारों द्वारा ट्यूटर या डेमोस्ट्रेटर के रूप में प्राप्त अनुभव को सहायक प्रोफेसर के रूप में पात्रता के लिए मान्य माना जाएगा। ये नये नियम गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने, संस्थागत क्षमता को मजबूत करने और देश की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में मदद करेंगे।