Lawyers To Become High Court Judge : हाईकोर्ट में जज बनना अब आसान नहीं होगा। करीब तीन दशक तक वकीलों को हाईकोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के आधार पर जज बनाया जाता था। इस कॉलेजियम में सीजेआई की अध्यक्षता में कुल तीन सदस्य होते थे। इसकी सफलता दर 85 से 90 फीसदी हुआ करती थी। बमुश्किल 10 से 15 फीसदी नामों का चयन हो पाता था। हालांकि अब जज बनना आसान नहीं है, क्योंकि अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम इनमें से 50 फीसदी से भी कम नामों को मंजूरी देता है।
अब जज बनने के लिए इंटरव्यू भी देना होगा। पहले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम यह देखता था कि वकील ने कितने महत्वपूर्ण केस लड़े हैं। इसके अलावा इंटेलिजेंस ब्यूरो से अधिवक्ता समुदाय में उनकी छवि के बारे में जानकारी ली जाती थी। हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों में से 10 से 15 फीसदी को उनकी छवि के आधार पर चुना जाता था। इसके बाद बाकी नाम केंद्र को भेजे जाते थे।
एक दशक पहले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने तत्कालीन सीजेआई की बहन को भी हाईकोर्ट जज के पद के लिए चुना था। सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत से सलाह लेने के बाद फैसला किया कि हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों का इंटरव्यू लेना जरूरी है। हाईकोर्ट के जजों के विवादित बयानों और कुछ हैरान करने वाले फैसलों की वजह से यह फैसला लिया गया है।
इसके अलावा जजों पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ जजों के बयानों पर भी सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना पड़ा। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को 12 हाईकोर्ट के लिए 101 नामों की सिफारिश की गई थी। हालांकि सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस गवई और जस्टिस कांत ने सभी का इंटरव्यू लिया और उनमें से सिर्फ 49 को ही मंजूरी दी।