आंध्र प्रदेश में शराब की कीमतों में सरकार की तरफ से ₹10 से लेकर ₹100 प्रति बोतल तक की कटौती का जबरदस्त असर देखा जा रहा है। रेट घटने के बाद पीने वालों (उपभोक्ताओं) को अब हर महीने लगभग ₹116 करोड़ की भारी बचत हो रही है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, यह राज्य में शराब की कीमतों में पहली बार इतनी बड़ी कटौती है। आपको बता दें, मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार को अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान शराब नीति में पारदर्शिता बनाए रखने, कीमतें आमजन के लिए किफायती रखने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
सिर्फ गुणवत्तापूर्ण शराब ब्रांड्स की बिक्री के आदेश
खबर के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि राज्य में सिर्फ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्तापूर्ण शराब ब्रांड्स की बिक्री होनी चाहिए। साथ ही बिना शुल्क चुकाए, अवैध या हानिकारक शराब की बिक्री पर सख्त रोक लगाई जाए। अधिकारियों ने जानकारी दी कि नई शराब नीति से राज्य की राजस्व बढ़ोतरी हुई है, पिछली सरकार (वाईएसआरसीपी शासन) के समय खोया व्यापार वापस लौटा है, नकली ब्रांड्स खत्म हुए हैं और गरीब तबकों में नशे की लत को रोकने में मदद मिली है।
पहले बिना ब्रांड वाले शराब का बाजार में 68% हिस्सा था
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब आंध्र प्रदेश में 30 ब्रांड्स की शराब की कीमतें पड़ोसी राज्यों तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु की तुलना में कम हैं। पहले राज्य में बिना ब्रांड वाले शराब का बाजार में 68% हिस्सा था, लेकिन अब उसकी जगह देसी और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स ने ले ली है। ऐसा करने से लो क्वालिटी वाली शराब की बिक्री में गिरावट आई है और उपभोक्ताओं की सुरक्षा में काफी सुधार हुआ है। अधिकारियों को निर्देश में यह भी कहा गया है कि राज्य में मौजूद बेल्ट शॉप्स (अवैध शराब की दुकानें) को बंद किया जाए, डिजिटल पेमेंट को जरूरी किया जाए और AI आधारित ट्रैकिंगऔर GPS निगरानी को लागू किया जाए।
हालांकि, इसी साल मार्च में राज्य सरकार ने दावा किया था कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार की नीतिगत विफलता के कारण आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच शराब राजस्व का अंतर पिछले पांच वर्षों में 4,186.70 करोड़ रुपये से बढ़कर 42,762.15 करोड़ रुपये हो गया।