Mumbai-Ahmedabad Bullet Train Project  : समुद्र के अंदर 21 किमी लंबी सुरंग के पहले सेक्शन का काम पूरा.

Mumbai-Ahmedabad Bullet Train Project को लेकर आज एक बड़ा अपडेट सामने आया है। रेल मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि महाराष्ट्र में घनसोली और शिलफाटा के बीच समुद्र के अंदर 21 किलोमीटर लंबी सुरंग के पहले सेक्शन का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। इस सेक्शन की लंबाई 2.7 किमी है। मंत्रालय ने ये भी कहा कि जापान सरकार ने 508 किलोमीटर लंबी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में E10 शिंकानसेन ट्रेनों को शामिल करने पर सहमति जताई है। मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया, ‘‘बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बीकेसी और ठाणे के बीच समुद्र के अंदर 21 किलोमीटर लंबी सुरंग के पहले सेक्शन का काम पूरा कर लिया गया है। प्रोजेक्ट के तहत हाल ही में 310 किलोमीटर ‘वायाडक्ट’ निर्माण का काम पूरा किया गया है।’’

भारत और जापान में एक साथ शुरू होंगी E10 ट्रेनें

बयान में आगे कहा गया, ‘‘पटरियां बिछाने, ओवरहेड इलेक्ट्रिकल वायरिंग, स्टेशनों और पुलों का काम तेजी से चल रहा है। महाराष्ट्र में भी निर्माण कार्य ने गति पकड़ी है। साथ ही संचालन और कंट्रोल सिस्टम की खरीद की प्रक्रिया भी सुचारू रूप से चल रही है।’’ सरकारी जानकारी के अनुसार, जापानी शिंकानसेन टेक्नोलॉजी से संचालित बुलेट ट्रेन अभी E5 सीरीज की है और E10 नई जनरेशन की ट्रेन होगी। रेल मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत और जापान के बीच रणनीतिक साझेदारी के तहत जापान सरकार ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में E10 शिंकानसेन ट्रेनें शामिल करने पर सहमति दी है। E10 ट्रेनें भारत और जापान में एक साथ शुरू की जाएंगी।’’

जमीन से 32.5 मीटर नीचे होगा बीकेसी स्टेशन

अधिकारियों के अनुसार, 508 किलोमीटर लंबा ये पूरा कॉरिडोर जापानी शिंकानसेन टेक्नोलॉजी के साथ डेवलप किया जा रहा है। मंत्रालय ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत नदी के ऊपर बन रहे 15 पुलों का काम पूरा हो चुका है, जबकि चार पुलों का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। कुल 12 स्टेशनों में से 5 का काम पूरा हो चुका है और 3 और स्टेशनों का काम अब अंतिम चरण में पहुंच गया हैं। मंत्रालय ने कहा, ‘‘बीकेसी स्टेशन इंजीनियरिंग का चमत्कार होगा। ये स्टेशन जमीन से 32.5 मीटर नीचे स्थित होगा और इसकी नींव को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसके ऊपर 95 मीटर ऊंची इमारत का निर्माण किया जा सके।’’

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