India First Automotive Design : भारत के पहले ऑटोमोटिव डिजाइन स्कूल, इंडियन स्कूल फॉर डिजाइन ऑफ ऑटोमोबाइल्स (INDEA) की आधारशिला रखी गई। इसका शिलान्यास केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वर्चुअली किया। इसका कामकाज साल 2026 से शुरू होगा। इस स्कूल को XLRI के सेंटर फॉर ऑटोमोबाइल डिजाइन एंड मैनेजमेंट (XADM) के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। INDEA के संस्थापक और XADM के चेयरपर्सन अविक चट्टोपाध्याय का मानना है कि यह स्कूल भारतीय ऑटोमोटिव सेक्टर के लिए एक अनूठी डिजाइन फिलॉसफी को जन्म देगा। आइए इस स्कूल के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम और भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
INDEA का शुभारंभ INDEA का भूमि पूजन और शिलान्यास समारोह 16 जून 2025 को XLRI दिल्ली-एनसीआर कैंपस में हुआ। इस दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, XLRI दिल्ली-एनसीआर के निदेशक केएस कश्मीर और अविक चट्टोपाध्याय वर्चुअली मौजूद रहे। इस कॉलेज का उद्देश्य पारंपरिक कक्षा-आधारित शिक्षा से हटकर एक वर्किंग स्टूडियो के रूप में काम करना है, जहाँ छात्रों को व्यावहारिक अनुभव दिया जाएगा।
क्या होगा पाठ्यक्रम? INDEA का पाठ्यक्रम काफी अलग है। अविक चट्टोपाध्याय ने बताया कि यहाँ कोई पारंपरिक कक्षा-कक्ष नहीं होगा, बल्कि एक बड़ा हॉल होगा जहाँ 25 छात्र बैठेंगे। बाकी समय वे क्ले मॉडलिंग एरिया, CAD-CAM लैब, प्रोटोटाइप वर्कशॉप या एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग लैब में काम करेंगे। उनके पाठ्यक्रम में हैंड ड्रॉइंग, CAD (कंप्यूटर एडेड डिज़ाइन), 3D मॉडलिंग, स्केल, 1:1 क्ले मॉडलिंग और प्रोटोटाइपिंग शामिल हैं।
यहाँ छात्रों को कोर्स डिज़ाइन और मैनेजमेंट का मिश्रण सिखाया जाएगा। जापान, जर्मनी और भारत के डिज़ाइन विशेषज्ञ छात्रों को डिज़ाइन सिखाएँगे। कोर्स के अंत में सभी छात्र मिलकर एक वर्किंग प्रोटोटाइप बनाएंगे, जिसे दुनिया के सामने पेश किया जाएगा।
ऑटोमोटिव डिजाइन में एक अनूठी पहचान अविक चट्टोपाध्याय का मानना है कि सिर्फ मेक इन इंडिया से काम नहीं चलेगा, इसके लिए डिजाइन इन इंडिया भी जरूरी है। जब तक हम डिजाइन को निवेश के तौर पर नहीं देखेंगे, तब तक इसे खर्च ही माना जाता रहेगा। अगर प्रोडक्शन इंजीनियरिंग या नई असेंबली लाइन को निवेश माना जाता है, तो डिजाइन को क्यों नहीं? भारत को अपने ऑटोमोटिव डिजाइन में एक अनूठी पहचान बनानी चाहिए, जो आने वाले तीन दशकों में भारतीय डिजाइन डीएनए के तौर पर उभरेगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में वास्तुकला, भोजन, संगीत, कला और कपड़ों में गहरा सौंदर्य बोध है, तो वाहनों में क्यों नहीं? डिजाइन को बहुत ज्यादा भारतीय नहीं दिखना चाहिए, बल्कि उसमें भारतीयता की सूक्ष्म छाप होनी चाहिए – जैसे इंटीरियर डिजाइन या इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़ों में। वे इटैलियन ऑटोमोटिव डिजाइन से प्रेरणा लेते हैं, जहां फेरारी या लेम्बोर्गिनी का लोगो हटाने के बाद भी लोग इसे इटैलियन डिजाइन के तौर पर पहचानते हैं। इसी तरह भारत को भी एक खास डिजाइन भाषा विकसित करनी चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अच्छा डिजाइन महंगा नहीं, बल्कि फायदेमंद होता है। वह तमाम पंचों का उदाहरण देते हैं, जिनकी बिक्री डिजाइन की वजह से होती है, फिर चाहे वह बाहरी लुक हो या अंदर का इंटीरियर। अगर सही निवेश किया जाए तो डिजाइन से मुनाफा बढ़ता है।
इंडिया का भूमि पूजन और शिलान्यास समारोह 16 जून 2025 को एक्सएलआरआई दिल्ली-एनसीआर कैंपस में हुआ। इस दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, एक्सएलआरआई दिल्ली-एनसीआर के निदेशक केएस कश्मीर और अविक चट्टोपाध्याय वर्चुअली मौजूद रहे। इस कॉलेज का लक्ष्य पारंपरिक क्लासरूम आधारित शिक्षा से हटकर वर्किंग स्टूडियो के तौर पर काम करना है, जहां छात्रों को व्यावहारिक अनुभव दिया जाएगा।
क्या होगा सिलेबस?
इंडिया का सिलेबस काफी अलग है। अविक चट्टोपाध्याय ने बताया कि यहां कोई पारंपरिक क्लासरूम नहीं होगा, बल्कि एक बड़ा हॉल होगा जहां 25 छात्र बैठेंगे। बाकी समय वे क्ले मॉडलिंग एरिया, सीएडी-कैम लैब, प्रोटोटाइप वर्कशॉप या एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग लैब में काम करेंगे। उनके पाठ्यक्रम में हैंड ड्रॉइंग, सीएडी (कंप्यूटर एडेड डिजाइन), 3डी मॉडलिंग, स्केल, 1:1 क्ले मॉडलिंग और प्रोटोटाइपिंग शामिल हैं।
यहां छात्रों को कोर्स डिजाइन और मैनेजमेंट का मिश्रण सिखाया जाएगा। जापान, जर्मनी और भारत के डिजाइन विशेषज्ञ छात्रों को डिजाइन सिखाएंगे। कोर्स के अंत में सभी छात्र मिलकर एक वर्किंग प्रोटोटाइप बनाएंगे, जिसे दुनिया के सामने पेश किया जाएगा।
ऑटोमोटिव डिजाइन में एक अनूठी पहचान अविक चट्टोपाध्याय का मानना है कि सिर्फ मेक इन इंडिया से काम नहीं चलेगा, इसके लिए डिजाइन इन इंडिया भी जरूरी है। जब तक हम डिजाइन को निवेश के तौर पर नहीं देखेंगे, तब तक हम इसे खर्च ही मानते रहेंगे। प्रोडक्शन इंजीनियरिंग या नई असेंबली लाइन को निवेश माना जाता है, तो डिजाइन क्यों नहीं? भारत को अपने ऑटोमोटिव डिजाइन में एक अनूठी पहचान बनानी चाहिए, जो आने वाले तीन दशकों में भारतीय डिजाइन डीएनए के तौर पर उभरेगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में वास्तुकला, भोजन, संगीत, कला और कपड़ों में गहरा सौंदर्य बोध है, तो वाहनों में क्यों नहीं? डिज़ाइन बहुत ज़्यादा भारतीय नहीं दिखना चाहिए, लेकिन उसमें भारतीयता का हल्का सा स्पर्श होना चाहिए – जैसे कि इंटीरियर डिज़ाइन या इस्तेमाल किए गए कपड़ों में।