भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का असर केवल सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव आम जनजीवन की आवश्यक वस्तुओं पर भी पड़ सकता है। ऐसी आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं, ताकि खाद्यान्न और रोजमर्रा की जरूरी चीजों की उपलब्धता और कीमतों पर नियंत्रण बना रहे।
राज्यों को सतर्कता बरतने का निर्देश
उपभोक्ता मामलों के विभाग (DoCA) ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी न होने पाए। विभाग ने यह निर्देश वर्तमान अंतरराष्ट्रीय हालात को देखते हुए एहतियात के तौर पर दिए हैं। पत्र में गेहूं, चावल, दाल, सब्जियां, खाद्य तेल और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर सख्त निगरानी रखने की बात कही गई है।
एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट लागू करने की तैयारी
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि हालात बिगड़ते हैं तो वह एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट, 1995 के तहत आवश्यक कदम उठा सकती है। यह कानून सरकार को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, उत्पादन और व्यापार को नियंत्रित करने का अधिकार देता है ताकि संकट की स्थिति में भी आम लोगों को वस्तुएं उचित मूल्य पर मिलती रहें।
थोक और खुदरा विक्रेताओं से चल रही बातचीत
सरकार ने आपूर्ति श्रृंखला को सुचारु बनाए रखने के लिए थोक व्यापारी, रिटेलर और निर्यातकों के साथ संवाद शुरू कर दिया है। उपभोक्ता मामलों के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “संकट के समय आपूर्ति बनाए रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता है, और अभी देश में खाद्यान्न की कोई कमी नहीं है।”
खाद्यान्न भंडारण की स्थिति
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में देश के गोदामों में 6.6 करोड़ टन से अधिक गेहूं और चावल का भंडार है, जो पिछले वर्ष की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की कुल जरूरत से अधिक है। इसके अलावा 16-17 लाख टन खाद्य तेल और 54 लाख टन चीनी का स्टॉक मौजूद है, जो क्रमशः 28 दिन और 3 महीने की खपत के लिए पर्याप्त है।