BCCI National Sports Governance Bill : बीसीसीआई भी बनेगा राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक का हिस्सा, संसद में आज पेश होगा बिल.

BCCI National Sports Governance Bill : बीसीसीआई यानी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड भी बुधवार को संसद में पेश होने वाले राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक का हिस्सा होगा। बीसीसीआई भले ही सरकार से वित्तीय मदद पर निर्भर न हो, लेकिन उसे प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल बोर्ड से मान्यता लेनी होगी। खेल प्रशासन विधेयक का उद्देश्य समय पर चुनाव, प्रशासनिक जवाबदेही और खिलाड़ियों के कल्याण के लिए एक मज़बूत खेल ढाँचा तैयार करना है।

सूत्र ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘इस विधेयक के अधिनियम बनने के बाद सभी राष्ट्रीय महासंघों की तरह बीसीसीआई को भी देश के कानून का पालन करना होगा। वे मंत्रालय से वित्तीय मदद नहीं लेते, बल्कि संसद का अधिनियम उन पर लागू होता है।’
सूत्र ने कहा, ‘बीसीसीआई अन्य सभी एनएसएफ की तरह एक स्वायत्त संस्था बनी रहेगी, लेकिन उनसे जुड़े विवादों का निपटारा प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण द्वारा किया जाएगा। यह न्यायाधिकरण चुनाव से लेकर चयन तक के खेल मामलों से जुड़े विवाद समाधान निकाय बनेगा।’ उन्होंने कहा, ‘इस विधेयक का मतलब किसी भी एनएसएफ पर सरकारी नियंत्रण नहीं है। सरकार सुशासन सुनिश्चित करने में एक सूत्रधार की भूमिका निभाएगी।’

क्रिकेट (टी20 प्रारूप) को 2028 में लॉस एंजिल्स में होने वाले ओलंपिक खेलों में शामिल कर लिया गया है और इस तरह बीसीसीआई पहले ही ओलंपिक आंदोलन का हिस्सा बन चुका है।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, बीसीसीआई सचिव देवजीत शाक्य ने कहा, ‘बीसीसीआई का आधिकारिक दृष्टिकोण यह है कि हम संसद में विधेयक पेश होने का इंतज़ार करेंगे और इस पर और जानकारी जुटाएँगे। उसके बाद देखते हैं कि क्या कदम उठाए जाएँगे।’ खास बात यह है कि बीसीसीआई खेल मंत्रालय से धन नहीं लेता है और ऐसे में बोर्ड पहले ही एनएसएफ में शामिल होने से इनकार कर चुका है।

विधेयक में क्या है

राष्ट्रीय खेल बोर्ड (एनएसबी) पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। इसके पास चुनावी अनियमितताओं से लेकर वित्तीय अनियमितताओं तक, विभिन्न उल्लंघनों के लिए शिकायतों के आधार पर या ‘अपने विवेक’ से खेल संघों को मान्यता देने या निलंबित करने के व्यापक अधिकार होंगे।

इस विधेयक में प्रशासकों की आयु सीमा के जटिल मुद्दे पर कुछ छूट दी गई है, जिसमें 70 से 75 वर्ष की आयु के लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई है, बशर्ते संबंधित अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ आपत्ति न करें।

एनएसबी का एक अध्यक्ष होगा और इसके सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। ये नियुक्तियाँ एक खोज-सह-चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाएँगी।

चयन समिति में कैबिनेट सचिव या खेल सचिव अध्यक्ष के रूप में, भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक, दो खेल प्रशासक (जिन्होंने किसी राष्ट्रीय खेल संस्था के अध्यक्ष, महासचिव या कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य किया हो) और एक प्रतिष्ठित खिलाड़ी जो द्रोणाचार्य, खेल रत्न या अर्जुन पुरस्कार विजेता हो, शामिल होंगे।

सूत्र ने कहा, “यह एक खिलाड़ी-केंद्रित विधेयक है जो राष्ट्रीय खेल महासंघों के स्थिर प्रशासन, निष्पक्ष चयन, सुरक्षित खेल और वित्तीय लेखा-जोखा सुनिश्चित करेगा, साथ ही शिकायत निवारण और बेहतर निधि प्रबंधन भी सुनिश्चित करेगा।”

उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि अदालती मामलों में देरी के कारण खिलाड़ियों के करियर को नुकसान न पहुँचे। अदालतों में अभी भी 350 अलग-अलग मामले लंबित हैं जिनमें मंत्रालय भी एक पक्ष है। इसे समाप्त करने की आवश्यकता है।”

जैसा कि पिछले साल जारी किए गए मसौदे में बताया गया था, बोर्ड के पास राष्ट्रीय खेल महासंघों को मान्यता देने और किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ के निलंबित होने की स्थिति में व्यक्तिगत खेलों के संचालन हेतु तदर्थ पैनल गठित करने का अधिकार होगा।

इसके पास भारत में खिलाड़ियों के कल्याण के लिए अंतर्राष्ट्रीय खेल निकायों के साथ मिलकर काम करने और अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु राष्ट्रीय खेल महासंघों को दिशानिर्देश जारी करने का भी अधिकार होगा। ये सभी कार्य अब तक आईओए के अधीन थे, जो राष्ट्रीय खेल महासंघों से संबंधित मामलों के लिए नोडल निकाय के रूप में कार्य करता था।

बोर्ड को किसी भी राष्ट्रीय निकाय की मान्यता रद्द करने का भी अधिकार दिया गया है जो अपनी कार्यकारी समिति के चुनाव कराने में विफल रहता है या जिसने ‘चुनाव प्रक्रियाओं में घोर अनियमितताएँ’ की हैं। आईओए ने परामर्श के चरण में बोर्ड का कड़ा विरोध किया था और इसे सरकारी हस्तक्षेप बताया था जिसके कारण अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) द्वारा प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

हालांकि, खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि दस्तावेज़ का मसौदा तैयार करते समय आईओसी से विधिवत परामर्श किया गया है। साथ ही, 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए भारत की दावेदारी के लिए आईओसी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध महत्वपूर्ण होंगे।

सूत्र ने कहा, ‘अब सभी सहमत हैं। यह विधेयक स्पष्ट रूप से ओलंपिक चार्टर के अनुरूप है और आईओसी को भी लगता है कि इसे तैयार करने में अच्छा काम किया गया है।’ प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण का उद्देश्य ‘खेल संबंधी विवादों का स्वतंत्र, त्वरित, प्रभावी और किफायती समाधान’ प्रदान करना है। मंत्रालय के सूत्र ने कहा, ‘न्यायाधिकरण के निर्णय को केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही चुनौती दी जा सकेगी।’

न्यायाधिकरण से संबंधित नियुक्तियाँ केंद्र सरकार के हाथों में होंगी। यह भारत के मुख्य न्यायाधीश याउनके द्वारा अनुशंसित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश। केंद्र सरकार को वित्तीय अनियमितताओं और ‘जनहित’ के प्रतिकूल कार्यों सहित उल्लंघनों के मामले में अपने सदस्यों को हटाने का अधिकार होगा।

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