High Court Declared The Fee Regulation Act 2020 : छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि निजी स्कूलों की फीस निर्धारित करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है। न्यायालय ने फीस विनियमन अधिनियम 2020 को संवैधानिक मानते हुए निजी स्कूलों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
शिक्षा क्षेत्र में मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाना आवश्यक
न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की पीठ ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में मुनाफाखोरी और शोषण को नियंत्रित करने के लिए नियामक ढांचा बनाना राज्य सरकार का संवैधानिक अधिकार है।
स्कूलों में मनमानी फीस वसूली रोकनी होगी
न्यायालय ने यह भी कहा कि निजी स्कूलों की स्वायत्तता बनी रहेगी, लेकिन फीस के नाम पर मनमानी वसूली पर कड़ा नियंत्रण आवश्यक है। फीस विनियमन अधिनियम 2020 को लागू करने का उद्देश्य निजी स्कूलों में मनमानी फीस वसूली रोकना है।
उच्च न्यायालय में याचिका दायर
छत्तीसगढ़ निजी स्कूल प्रबंधन संघ और बिलासपुर निजी स्कूल संघ ने इस अधिनियम को असंवैधानिक बताते हुए याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने तर्क दिया था कि यह स्कूलों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप करता है।
राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि यह अधिनियम केवल एक नियामक कानून है, जिसका उद्देश्य पारदर्शी शुल्क निर्धारण प्रक्रिया सुनिश्चित करना है। शिक्षा समवर्ती सूची में आती है और राज्य सरकार को इस पर कानून बनाने का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों में भी शुल्क नियंत्रण को वैध माना गया है।
दिल्ली सरकार निजी स्कूलों में शुल्क वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए विधेयक पेश करेगी
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि सरकार निजी स्कूलों में शुल्क वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में एक विधेयक पेश करेगी। उन्होंने शनिवार को दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही।
आपको बता दें कि 29 अप्रैल को जारी कैबिनेट द्वारा अनुमोदित अध्यादेश के अनुसार, विधेयक में मनमाने ढंग से शुल्क बढ़ाने वाले स्कूलों पर कड़ी सजा का प्रावधान है। पहली बार उल्लंघन करने पर स्कूलों पर 1 से 5 लाख रुपये और उसके बाद 2 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
हर 20 दिन की देरी पर जुर्माना बढ़ता रहेगा।
इसके अनुसार, यदि स्कूल निर्धारित समय सीमा के भीतर राशि वापस नहीं करता है, तो जुर्माना 20 दिन बाद दोगुना, 40 दिन बाद तिगुना और हर 20 दिन की देरी पर बढ़ता रहेगा। अध्यादेश के अनुसार, बार-बार उल्लंघन करने पर शुल्क संशोधन का प्रस्ताव देने का अधिकार भी समाप्त हो सकता है।