Vaishakh Mas ke Upay : वैशाख मास को सभी मासों में श्रेष्ठ माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार सनातन धर्म में 12 मास होते हैं लेकिन वैशाख मास भगवान विष्णु को सबसे प्रिय है। जब राजा अम्बरीष ने नारद जी से इस मास के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि जैसे नदियों में गंगा, वृक्षों में कल्पतरु और पक्षियों में गरुड़ श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार मासों में वैशाख श्रेष्ठ है। इस मास में स्नान, दान और ध्यान का विशेष महत्व है। नारद जी ने तो यहां तक बताया है कि जो व्यक्ति वैशाख मास में जूते दान करता है उसे जीवन में सांसारिक दुख नहीं भोगने पड़ते और मृत्यु के बाद उसे नर्क भी नहीं भोगना पड़ता। ऐसे में विस्तार से जानिए कि भगवान विष्णु की विशेष कृपा पाने के लिए वैशाख मास में किन चीजों का दान किया जा सकता है और इस मास में स्नान का क्या महत्व है। इस संबंध में नारद जी राजा अम्बरीष से कहते हैं कि सभी महीनों में वैशाख माह श्रेष्ठ है, जैसे सभी विद्याओं में वेद विद्या और मंत्रों में प्रणव। वृक्षों में कल्पवृक्ष, गायों में कामधेनु, सभी सांपों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़। देवताओं में विष्णु, जातियों में ब्राह्मण, प्रिय वस्तुओं में प्राण, दयालुता में भार्या (पत्नी)। नदियों में गंगा, तेजोमय पदार्थों में सूर्य, शस्त्रों में सुदर्शन चक्र, धातुओं में स्वर्ण।
वैशाख में स्नान का महत्व
नारद जी बताते हैं कि जो व्यक्ति वैशाख माह में प्रतिदिन मेष संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करता है, उसे देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु अधिक प्रिय होते हैं। वैशाख में स्नान करने से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं। जो व्यक्ति मेष संक्रांति के दिन प्रातः स्नान करके नित्य कर्म करता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करता है। जो व्यक्ति इस माह में स्नान करता है, वह महापापों से मुक्त हो जाता है और उसे विष्णु की सायुज्य मुक्ति प्राप्त होती है। इतना ही नहीं, उसे 10 हजार अश्वमेध यज्ञों का फल भी मिलता है।
वैशाख में स्नान न करने से मिलता है श्राप
नारदजी बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति वैशाख मास में स्नान नहीं करता है, तो तीर्थों के अधिष्ठाता सभी देवता सूर्योदय से लेकर छह प्रहर तक जल से बाहर आकर उस व्यक्ति को श्राप देकर अपने-अपने स्थान पर चले जाते हैं। इसलिए इस मास में स्नान करने का बहुत महत्व है। इसलिए नारदजी राजा अम्बरीष से कहते हैं कि जिस प्रकार सत्ययुग के समान कोई दूसरा युग नहीं है और गंगा के समान कोई दूसरा तीर्थ नहीं है, उसी प्रकार वैशाख मास के समान कोई दूसरा मास नहीं है। वैशाख मास सर्वश्रेष्ठ है।
वैशाख मास में क्या दान करें
नारदजी बताते हैं कि वैशाख मास में जल दान करने मात्र से ही व्यक्ति को वे सभी पुण्य प्राप्त हो जाते हैं, जिसके लिए उसे अन्य मासों में सभी तीर्थों के दर्शन करने पड़ते हैं और सभी प्रकार के दान करने पड़ते हैं। जो व्यक्ति वैशाख में जल और पंखे का दान नहीं करता, उसे नरक के समान यातनाएं झेलनी पड़ती हैं और संसार में पाप का भागीदार बनना पड़ता है। इसी प्रकार जो इस मास में छत्र दान नहीं करता, उसे छायाविहीन रहना पड़ता है। इतना ही नहीं, वह क्रूर और पिशाच बन जाता है।
वैशाख में किन चीजों का दान करना श्रेष्ठ है
नारदजी राजा अम्बरीष को बताते हैं कि जो वैशाख में लकड़ी की पादुकाएं दान करता है, उसे विष्णुलोक में स्थान मिलता है। इसी प्रकार यदि कोई ब्राह्मण वैशाख मास में लकड़ी की पादुकाएं मांगता है, तो दान करने वाला व्यक्ति प्रत्येक जन्म में राजा के समान सुख भोगता है। आज के युग में लकड़ी की पादुकाओं की जगह चप्पल का दान किया जा सकता है। जो इस मास में रास्ते में लोगों की थकान दूर करने के लिए मंडप बनवाता है, उसे इतना पुण्य मिलता है कि ब्रह्मा भी उसका वर्णन नहीं कर सकते। इसी प्रकार वैशाख में भूखे को भोजन कराना, अन्न, बिस्तर, तकिया, चटाई आदि दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा करने वाले व्यक्ति को भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है।