Income Tax Regime Change : ITR फाइल करते समय बदल सकते हैं टैक्स सिस्टम?

आम करदाताओं के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने का सीजन एक बार फिर शुरू हो गया है। हर साल की तरह इस बार भी करदाताओं के सामने एक बड़ा सवाल है—नया टैक्स रिजीम चुनें या पुराना? सरकार द्वारा सेक्शन 115BAC के तहत शुरू की गई नई टैक्स व्यवस्था ने टैक्सपेयर्स को विकल्प तो दिए हैं, लेकिन कई लोगों को यह अब भी समझ नहीं आता कि किस स्थिति में किस टैक्स सिस्टम को चुनना चाहिए और क्या रिटर्न फाइल करते वक्त इसे बदला जा सकता है?

इनकम टैक्स की व्यवस्था अब दो विकल्पों में बंटी हुई है—पुराना टैक्स रिजीम और नया टैक्स रिजीम। पुराने सिस्टम में धारा 80C, HRA, LTA जैसी छूट और कटौतियों का लाभ मिलता है, वहीं नए सिस्टम में टैक्स स्लैब कम हैं लेकिन अधिकांश डिडक्शन नहीं मिलते।

अब सवाल यह है कि क्या एक बार चुने गए टैक्स सिस्टम को आईटीआर फाइल करते वक्त बदला जा सकता है? इसका जवाब करदाता की श्रेणी पर निर्भर करता है।

1. सैलरीड और पेंशनर्स के लिए लचीलापन

अगर आप वेतनभोगी कर्मचारी हैं या पेंशन प्राप्त करते हैं, तो आपके लिए राहत की बात यह है कि आप हर वित्त वर्ष में अपनी सुविधा के अनुसार टैक्स रिजीम बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपने पूरे साल अपने ऑफिस को नया टैक्स सिस्टम बताया था लेकिन रिटर्न भरते समय हिसाब लगाने पर पुरानी व्यवस्था अधिक फायदेमंद लगती है, तो आप उसे चुन सकते हैं।

2. बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम वालों के लिए सीमित विकल्प

यदि आपकी आय व्यवसाय या फ्रीलांस प्रोफेशन से आती है, तो नियम थोड़े सख्त हैं। आप जीवन में केवल एक बार ही पुराने टैक्स सिस्टम से नए में या नए से पुराने सिस्टम में स्विच कर सकते हैं। इसके बाद जब तक आपकी बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम चालू रहती है, तब तक आप पुनः सिस्टम नहीं बदल सकते।

3. ITR दाखिल करते समय क्या करें?

आईटीआर फॉर्म भरते समय एक विकल्प आता है जिसमें पूछा जाता है कि क्या आप सेक्शन 115BAC के तहत नई टैक्स व्यवस्था चुनना चाहते हैं। यदि आप नया सिस्टम चुनते हैं और आपकी आय व्यवसाय से जुड़ी है, तो आपको फॉर्म 10-IEA भरना जरूरी होता है, जो टैक्स सिस्टम बदलने की आधिकारिक सूचना होती है।

4. आईटीआर की प्रक्रिया कब शुरू होती है?

हालांकि अप्रैल में ही आईटीआर दाखिल करने की तकनीकी सुविधा शुरू हो जाती है, लेकिन अधिकतर सैलरीड व्यक्तियों के लिए यह प्रक्रिया जून के मध्य तक ही शुरू होती है, जब तक कि उन्हें उनका फॉर्म-16 प्राप्त नहीं हो जाता। यह फॉर्म उनके वेतन और कटौतियों की जानकारी देता है, और इसे 15 जून तक जारी किया जाना अनिवार्य है।

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