Colour Coded Fuel Sticker : अब ड्राइवरों के लिए एक और स्टीकर आवश्यक है। अगर वाहन पर वह स्टीकर नहीं लगाया गया तो 5000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। इतना ही नहीं जुर्माने के साथ-साथ और भी सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। बिना स्टिकर वाले वाहन को पीयूसी प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाएगा।
यह एक स्टीकर है जो आपको बताता है कि आपका वाहन किस ईंधन का उपयोग करता है। इसे रंग-कोडित ईंधन स्टिकर भी कहा जाता है। दिल्ली में अब वाहनों पर यह स्टीकर लगाना अनिवार्य है। ये स्टिकर आपको बताते हैं कि आपका वाहन किस ईंधन पर चलता है। यह नीति उच्च सुरक्षा पंजीकरण प्लेट (एचएसआरपी) के अंतर्गत क्रियान्वित की गई है। दिल्ली परिवहन विभाग ने कहा कि अगर किसी वाहन पर यह स्टीकर नहीं लगा होगा तो उसके खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसका मतलब यह है कि न केवल जुर्माना लगाया जाएगा, बल्कि पीयूसी प्रमाणपत्र भी रद्द कर दिया जाएगा।
ये रंगीन स्टिकर क्या हैं?
ये स्टिकर वर्ष 2012-13 में HSRP के साथ पेश किए गए थे। ये एक प्रकार का होलोग्राम है, जिसे कार के विंडशील्ड पर लगाया जाता है। इनसे पता चलता है कि वाहन पेट्रोल, डीजल या किसी अन्य ईंधन पर चल रहा है। इन स्टिकरों को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि अगर कोई इन्हें हटाने की कोशिश करेगा तो वे क्षतिग्रस्त हो जाएंगे। ये स्टिकर तीन रंगों में आते हैं:
हल्का नीला: यह पेट्रोल और सीएनजी वाहनों के लिए है।
काहेल: यह डीजल वाहनों के लिए है।
ग्रे: यह रंग इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड ईंधन वाहनों के लिए है।
ये स्टिकर क्यों आवश्यक हैं?
ये स्टिकर कानून प्रवर्तन और प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों की मदद करते हैं। इससे उन्हें पता चल जाएगा कि कौन सा वाहन कौन सा ईंधन खपत करता है। विशेषकर जब प्रदूषण का स्तर अधिक हो तो डीजल वाहन सड़क पर नहीं चल सकते। यह प्रणाली वाहनों से संबंधित पर्यावरण संबंधी नियमों के प्रवर्तन में भी मदद करती है। यह शहरों में प्रदूषण कम करने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है।
नये और पुराने के लिए आवश्यक
अप्रैल 2019 में नए वाहनों के लिए ये स्टिकर अनिवार्य कर दिए गए। बाद में ये पुराने वाहनों के लिए भी अनिवार्य हो गये। इसका पालन न करने पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 192(1) के तहत दंडनीय अपराध होगा।





