8th Pay Commission : 8वें वेतन आयोग की अधिसूचना में देरी से कर्मचारियों और पेंशनर्स में बढ़ी बेचैनी.

8th Pay Commission  : 8वें वेतन आयोग के गठन की अधिसूचना और इसके कार्यक्षेत्र में हो रही देरी को लेकर केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। इस संदर्भ में रेलवे सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी (आरएससीडब्ल्यूएस) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस प्रक्रिया को जल्द पूरा करने की मांग की है।

कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में बढ़ती चिंता
आरएससीडब्ल्यूएस के चेयरमैन टी.एस. कालरा ने 30 जून, 2025 को प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि 8वें वेतन आयोग की घोषणा से देशभर के 47 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों में राहत और उम्मीद जगी है। लेकिन आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति और कार्यक्षेत्र को लेकर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे भ्रम की स्थिति बन रही है।

उन्होंने कहा, “सरकार की चुप्पी और निर्णय लेने की प्रक्रिया में देरी से कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में भ्रम और निराशा बढ़ रही है।”

8वें वेतन आयोग का समय पर गठन क्यों जरूरी है?

पत्र में आरएससीडब्ल्यूएस ने वेतन आयोग के समय पर गठन के लिए कई महत्वपूर्ण कारण बताए हैं।

आर्थिक परिस्थितियों का सामना: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रही हैं। बढ़ती महंगाई और जीवन-यापन की लागत को देखते हुए वेतन और पेंशन की जल्द समीक्षा करना जरूरी है।

मनोबल और कार्यकुशलता बढ़ाना: वेतनमान में समय पर संशोधन से कर्मचारियों का उत्साह और समर्पण बढ़ेगा, जिससे सरकारी सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना: पेंशनभोगियों के लिए पेंशन में समय पर संशोधन उनकी वित्तीय सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन के लिए बहुत जरूरी है।

अटकलों और अफवाहों पर लगाम: आयोग के गठन में देरी और कार्यक्षेत्र को स्पष्ट न करने से अफवाह और गलत सूचना फैलती है, जिससे असंतोष फैलता है।

आरएससीडब्ल्यूएस ने यह भी कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बहुत जरूरी है, ताकि कर्मचारियों का सरकार पर भरोसा बरकरार रहे।

आरएससीडब्ल्यूएस की प्रमुख मांगें प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में संगठन ने तीन महत्वपूर्ण मांगें रखीं आयोग का तत्काल गठन: 8वें वेतन आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की घोषणा जल्द की जाए। कार्य के दायरे को स्पष्ट करना (ToR): आयोग के कार्यक्षेत्र को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, जिसमें वेतन, भत्ते, पेंशन लाभ और पुनर्गठित पेंशन जैसे मुद्दे शामिल होने चाहिए।

स्पष्ट समय-सीमा तय करना: यह सुनिश्चित करना कि आयोग अपनी सिफ़ारिशें समय पर, यानी 1 जनवरी 2026 से पहले प्रस्तुत करे, ताकि वेतन और पेंशन संशोधन समय पर किए जा सकें।

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