Pitru Paksha 2025 : पितृ पक्ष 2025 : महत्व, मान्यताएँ और तिथियाँ.

Pitru Paksha 2025 : हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है, जो सोमवार, 8 सितंबर से शुरू हो रहा है। पहले दिन प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध तर्पण होगा। इससे एक दिन पहले, रविवार को पूर्णिमा व्रत और नांदी माता का श्राद्ध होगा। इस दिन पूर्ण चंद्रग्रहण है और दिन में 12:57 बजे से सूतक लग रहा है। इसलिए श्राद्ध तर्पण से संबंधित कार्य इससे पहले ही कर लेना बेहतर रहेगा।

कर्मकांडियों के अनुसार, पितृ पक्ष में श्राद्ध के लिए तिथि, वार का आधार मध्याग्रह के समय पर निर्भर करता है। इस कारण षष्ठी और सप्तमी तिथि का श्राद्ध तर्पण एक ही दिन, शनिवार, 13 तारीख को पड़ रहा है।

अष्टमी का श्राद्ध तर्पण रविवार, 14 तारीख को होगा, जो सुबह 8:41 बजे के बाद करना बेहतर रहेगा। नवमी तिथि का श्राद्ध तर्पण 15 तारीख को होगा। साथ ही, रविवार, 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध तर्पण के साथ पितृ पक्ष का समापन होगा।

श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धापूर्वक किया गया कार्य। मान्यता है कि मृत्युलोक के देवता यमराज इस अवधि में आत्मा को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे अपने परिजनों के पास जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। पितृ पक्ष में पितरों का स्मरण किया जाता है। पुराणों में भी इसका महत्व वर्णित है।

ज्योतिषाचार्य नरोत्तम द्विवेदी बताते हैं कि जन्म कुंडली में पितृ दोष होने पर व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिन लोगों की कुंडली में यह दोष होता है, उन्हें हर काम में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। मान-सम्मान में भी कमी आती है। जमा पूंजी नष्ट हो जाती है, रोग आदि भी घेर लेते हैं।

पंडित अमरेंद्र कुमार मिश्र बताते हैं कि श्राद्ध न करने की स्थिति में आत्मा को पूर्ण मुक्ति नहीं मिलती, इसलिए आत्मा भटकती रहती है। पितृ पक्ष में पूजा-पाठ और स्मरण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इसमें नियम और अनुशासन का पालन करने से पूर्ण लाभ मिलता है।

श्राद्ध की तिथियां

प्रतिपदा (प्रथम) 8 सितंबर सोमवार

द्वितीया 9 सितंबर मंगलवार

तृतीया 10 सितंबर बुधवार

चतुर्थी 11 सितंबर गुरुवार

पंचमी 12 सितम्बर शुक्रवार

षष्ठी और सप्तमी 13 सितंबर शनिवार

अष्टमी 14 सितम्बर रविवार

नवमी 15 सितम्बर सोमवार

दशमी 16 सितम्बर मंगलवार

एकादशी 17 सितम्बर बुधवार

द्वादशी 18 सितम्बर गुरूवार

त्रयोदशी 19 सितंबर शुक्रवार

चतुर्दशी 20 सितंबर शनिवार

सर्वपितृ विसर्जन अमावस्या 21 सितंबर रविवार

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