Punjab News : श्री गुरु ग्रंथ साहिब समेत धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वालों को मौत की सजा या आजीवन कारावास हो सकता है… सरकार इस बारे में कानूनी विशेषज्ञों की राय ले रही है, ताकि 7 जुलाई को होने वाली कैबिनेट बैठक में इसे पारित किया जा सके और 10 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में विधेयक पेश किया जा सके।
हालांकि, कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने भी 28 अगस्त 2018 को इसी तरह का विधेयक पारित कर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था। इसे केंद्र सरकार ने यह कहते हुए लौटा दिया था कि अब भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता लागू हो गई है और सरकार को धार्मिक ग्रंथों के लिए दिए गए दंड के तहत अपना अधिनियम बनाना चाहिए।
कैप्टन सरकार ने अगस्त 2018 में आईपीसी की धारा 295 में संशोधन करते हुए 295ए विधेयक पारित किया था। इसमें धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वालों के लिए आजीवन कारावास जैसी कठोर सजा का प्रावधान किया गया था। इस विधेयक पर लंबे समय तक कोई फैसला नहीं हुआ था।
2023 में शाह को लिखा था पत्र
इसके बाद आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार बनी और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 2023 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर बिल पर राष्ट्रपति की मंजूरी लेने को कहा। इसी बीच केंद्र सरकार ने आईपीसी को खत्म कर भारतीय न्याय संहिता लागू कर दी और बिल को राज्य सरकार को वापस कर दिया और कहा कि इस पर गौर करने के बाद अपना एक्ट पास करे।
अब पटियाला के समाना में एक पूर्व सैनिक गुरजीत सिंह बीएसएनएल टावर पर चढ़कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने पर मौत की सजा की मांग कर रहा है। उसकी स्थिति को देखते हुए आप सरकार ने अचानक इस बिल को पास करने के लिए विधानसभा का सत्र बुला लिया है।
भारतीय न्याय संहिता 2023 में ये हैं प्रावधान
धारा 298 (धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना): अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी धार्मिक स्थल या पवित्र वस्तु को नुकसान पहुंचाता है या अपवित्र करता है तो उसे दो साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर अपमान): यदि कोई व्यक्ति किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से कोई अपमानजनक बात कहता है, लिखता है, कोई प्रतीक दिखाता है या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से कोई अपमानजनक सामग्री साझा करता है, तो उसे तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
धारा 300 (धार्मिक पूजा या धार्मिक समारोह में बाधा): यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी कानूनी रूप से आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में बाधा डालता है, तो उसे एक साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए भारतीय न्याय संहिता में धारा 298, 299 और 300 लगाई गई हैं।
इसलिए ली जा रही है सलाह मुख्यमंत्री भगवंत मान भी धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने पर मौत की सजा का प्रावधान करना चाहते हैं। पार्टी में एक बड़ा वर्ग मानता है कि अगर मौत की सजा का प्रावधान किया गया तो बिल टिक नहीं पाएगा। इसलिए सरकार बिल पेश करने से पहले सभी कानूनी पेचीदगियों को दूर करना चाहती है, जिसके चलते गृह विभाग ने बिल को कानूनी विशेषज्ञों के पास भेज दिया है।