Delhi Police Good News : दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टरों के लिए एक राहत भरी खबर यह है कि अगर वे अपने इलाके में बेहतर कानून-व्यवस्था बनाए रखते हैं, उनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है और वे पुलिस कमिश्नर की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं, तो वे लंबे समय तक थानाप्रभारी के पद पर बने रह सकेंगे। यानी बेहतर काम करने वाले इंस्पेक्टर पहले की तरह विभिन्न थानों के थानाप्रभारी बने रह सकेंगे। इसके लिए कोई पाबंदी नहीं होगी।
दिल्ली समेत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बल में ऐसी व्यवस्था पहले से मौजूद है। तीन साल पहले तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ने दिल्ली में थानाप्रभारी के कार्यकाल की समय-सीमा तीन साल तय की थी। इस फैसले के अच्छे नतीजों की बजाय बुरे नतीजे सामने आए।
कार्यकाल की समय-सीमा तय करने से पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार तेज़ी से बढ़ा। थानाप्रभारी का अपने कर्मचारियों पर कुछ दबाव होने के कारण, उनका ध्यान इलाके की कानून-व्यवस्था पर ध्यान देने के बजाय दूसरे कामों पर ज़्यादा रहता था। जिससे कानून-व्यवस्था बिगड़ती गई।
सड़कों पर छोटे-मोटे अपराध बढ़ गए। नए कमिश्नर सतीश गोलचा ने कार्यभार संभालते ही इस फैसले को बदलने का फैसला किया था। सभी आला अधिकारियों से सलाह-मशविरा के बाद इसमें बदलाव किया गया।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि दिल्ली में थाना प्रभारियों के सामने अपने इलाके में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की बड़ी चुनौती होती है। अनुभवी थाना प्रभारियों को थाना चलाने में ज़्यादा दिक्कत नहीं आती, लेकिन नए प्रभारियों को कुछ समय के लिए थोड़ी दिक्कत होती है।
14 थाने खाली पड़े हैं
पुलिस अधिकारी का कहना है कि थाना प्रभारियों को काम सीखने में दो से तीन साल लग जाते हैं, तब तक उनका कार्यकाल पूरा होने पर उन्हें बदल दिया जाता है। इस समय दिल्ली में 14 थाने खाली पड़े हैं। इन थानों के कुछ थाना प्रभारियों को लापरवाही के चलते निलंबित कर दिया गया था और कुछ को लाइन हाजिर कर दिया गया था। जिसके चलते ये थाने खाली पड़े हैं।
इनमें से ज़्यादातर इंस्पेक्टर ऐसे थे जिन्हें पहली बार थाना प्रभारी की ज़िम्मेदारी दी गई थी। मुख्यालय सूत्रों की मानें तो पुलिस आयुक्त अब इन थानों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले और अनुभवी इंस्पेक्टरों को थाना प्रभारी नियुक्त करेंगे। इसके लिए बेहतर इंस्पेक्टरों का चयन किया जा रहा है। संभवत: अगले सप्ताह इन थानों में थाना प्रभारियों की तैनाती कर दी जाएगी।
2021 में दिल्ली पुलिस की विशेष आयुक्त रहीं सुंदरी नंदा ने तत्कालीन पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना को तीन साल के कार्यकाल का सुझाव दिया था। सुंदरी नंदा का गृह मंत्रालय में तबादला होने और अस्थाना के सेवानिवृत्त होने के बाद पूर्व पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने यह नियम लागू किया। जिसके बाद उसी व्यवस्था के तहत तैनाती होने लगी। इसे लेकर इंस्पेक्टरों में नाराजगी थी।