Sawan Putrada Ekadashi 2025 : 5 अगस्त 2025 को देशभर में पुत्रदा एकादशी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाई जा रही है। इस दिन रवि योग और गजलक्ष्मी राजयोग भी बन रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संतान सुख की कामना रखने वाले दंपत्तियों, खासकर पुत्र प्राप्ति की कामना रखने वालों के लिए यह व्रत अत्यंत शुभ है।
इस व्रत के प्रभाव से न केवल संतान की प्राप्ति होती है, बल्कि सभी पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। यह व्रत रक्षाबंधन से चार दिन पहले आता है और जीवन में ग्रह दोषों के निवारण के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
सावन पुत्रदा एकादशी की तिथि 4 अगस्त यानी सुबह 11.41 बजे शुरू हुई और तिथि 5 अगस्त यानी आज दोपहर 1.12 बजे समाप्त होगी।
यह व्रत 6 अगस्त यानी कल सुबह 5.45 बजे से 8.26 बजे तक रखा जाएगा।
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:03 बजे से 4:41 बजे तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 2:38 बजे से 3:36 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 7:17 बजे से 7:37 बजे तक
निशिता मुहूर्त – रात 12 बजे से 12:41 बजे तक
पुत्रदा एकादशी पर भद्रा का साया
इस बार पुत्रदा एकादशी पर भद्रा का साया रहेगा। हिंदू धर्म में भद्रा को शुभ कार्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता है। इस बार 5 अगस्त को पुत्रदा एकादशी पर भद्रा का साया सुबह 5:45 बजे शुरू होकर दोपहर 1:12 बजे समाप्त होगा।
पूजा विधि (सावन पुत्रदा एकादशी पूजन विधि)
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
एक पाटे पर पीला कपड़ा बिछाएँ और भगवान विष्णु की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
गंगाजल से अभिषेक करें और चंदन का तिलक लगाएँ।
पीले फूल, फल, मिठाई, तुलसी के पत्ते और पंचामृत अर्पित करें।
दीप जलाएँ और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और अंत में भगवान विष्णु की आरती करें।
व्रत के दौरान निराहार रहें या फलाहार करें और अगले दिन व्रत तोड़ें।
पूजा सामग्री (सावन पुत्रदा एकादशी पूजन सामग्री)
भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र
लकड़ी का पाट, बिछाने के लिए पीला कपड़ा
बैठने के लिए आसन
शुद्ध जल या गंगाजल, पीले फूल, पीले फल
तुलसी के पत्ते, पंचामृत, घी, दीपक, धूप
चंदन, मिठाई, व्रत कथा की पुस्तक