UPI Payment : 1 अगस्त से UPI ट्रांजैक्शन पर शुल्क ICICI बैंक का बड़ा कदम, छोटे व्यापारियों पर पड़ेगा असर?

 UPI Payment  : आईसीआईसीआई बैंक 1 अगस्त से यूपीआई ट्रांज़ैक्शन पर शुल्क वसूलने जा रहा है, लेकिन यह चार्ज सीधे वैश्वीकरण पर नहीं बल्कि सपोर्ट एग्रीगेटर्स (जैसे रेजरपे, कैशफ्री, पीयू स्टूडेंट) पर लागू होगा। बैंक ने यह निर्णय लिया है कि यूपीआई सिस्टम की लागत को कवर करने के लिए जिन पेजेंट एग्रीगेटर्स का बैंक में एस्क्रो अकाउंट है-2 बेसिस प्वाइंट (0.02%) प्रति ट्रांजेक्शन रिजर्वागा। मुख्य शुल्क: ₹6 प्रति ट्रांज़ेक्शन है। बैंक में कोई खाता नहीं है:-4 आधार बिंदु (0.04%) प्रति ट्रांजेक्शन शुल्क लगता है। अधिक शुल्क: ₹10 प्रति ट्रांजेक्शन शुल्क। बैंक के ग्राहक संबंध पर कोई असर नहीं।

ये बदलाव क्यों लाया गया
बैंक बैंक हर यूपी ट्रांजेक्शन के लिए एनपी सोसायटी (नेशनल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) को चार्ज देता है। अब तक बैंक खुद इस खर्च को वहन कर रहे थे, लेकिन अब वो इसे एग्रीगेटर्स से वसूल कर लेगा।

आरबीआई के गवर्नर संजय एस्ट्रियल ने हाल ही में कहा था कि सरकारी यूपीआई सिस्टम को छोड़ा जा रहा है, लेकिन यह मॉडल लंबे समय तक कायम नहीं है। उन्होंने कहा:

कोई तो खर्चा करेगा. अभी सरकार दे रही है, लेकिन भविष्य में बेरोजगारी है

इससे किस पर असर होगा- बैंक से जुड़ा व्यापार: कोई असर नहीं। अन्य संस्थाएँ जुड़े हुए हैं, जिनमें शामिल हैं, कंपनी: ट्रांसजेक्शन कास्ट कास्ट। छोटे व्यापारी जो प्लास्टिक गेटवे का उपयोग करते हैं, वे ट्रांजेक्शन शुल्क में पैडल के रूप में से पैकेजिंग हो सकते हैं।

यूपीआई पर बढ़ा हुआ प्रेशर-यू प्रॉडक्शन से हर महीने 100 करोड़ से ज्यादा ट्रांजेक्शन हो रहा है। ऐसे बैंक, पैमाइश सर्विस प्रोवाइडर और एनपी सोसायटी पर बैकएंड सिस्टम का दबाव बढ़ गया है।

1 अगस्त से UPI ट्रांजेक्शन फ्री नहीं रहेगा – एग्रीगेटर्स के लिए कम से कम भुगतान। यूपीआई की “मुफ्त सेवा” का खर्च अब धीरे-धीरे बाजार में वापस आ रहा है।

छोटे और निजीकरण दिग्गजों को अब अपने प्लास्टिक गेटवे की कीमत पर नजर डालनी चाहिए, क्योंकि ये कीमत अब उनके सिर पर भी हो सकती है।

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