SBI Credit card Data : अगर आपके पास एसबीआई क्रेडिट कार्ड है तो सावधान हो जाइए। अगर कोई आपको कॉल करके क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने या क्रेडिट कार्ड बंद होने की बात कहता है तो उसकी बातों में न आएं। एसबीआई क्रेडिट कार्ड का डाटा साइबर अपराधियों के पास पहुंच गया है। साइबर सेल को हर दिन शिकायतें मिल रही हैं। एक मामले की जांच करते हुए साइबर सेल पुलिस इस नतीजे पर पहुंची है कि डाटा लीक हो गया है।
हाल ही में एसबीआई क्रेडिट कार्ड धारकों के साथ ठगी के मामले साइबर सेल के पास पहुंचे। सेल के एक एसआई ने जांच शुरू की। सबसे पहले जिस नंबर से कॉल की गई थी उसकी कॉल डिटेल निकलवाई गई। कॉल डिटेल में देखा गया कि उस नंबर से कितने लोगों को कॉल की गई। जालसाज ने दो घंटे में 40 लोगों को कॉल की थी। सात लोगों से उसकी लंबी बातचीत हुई। पुलिस ने एक-एक कर सभी से संपर्क किया। सभी के पास एसबीआई क्रेडिट कार्ड हैं। उन्हें ठगी के जाल में फंसाया गया।
चार लोगों से ठगी की गई। तीन भाग निकले। चार में से दो ने साइबर सेल में ठगी की शिकायत की है। जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि साइबर अपराधी ने जिन लोगों को कॉल की, वे सभी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते थे। एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था, जिसके पास क्रेडिट कार्ड हो। एसीपी आदित्य ने बताया कि साइबर अपराधियों के लिए डाटा बहुत जरूरी है। वे ग्राहकों को कॉल करने के लिए डाटा खरीदते हैं। वे इस तरह से कॉल करते हैं कि ग्राहक झांसे में आ जाता है। जब तक उसे ठगी का पता चलता है, तब तक उसके क्रेडिट कार्ड से पैसे निकल चुके होते हैं।
डार्क वेब पर डाटा को कच्चा तेल कहा जाता है
अधिकांश बैंकों में आईटी सेक्टर, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड का काम निजी कंपनियों के पास है। यह काम ठेका कर्मचारी करते हैं। वे अपने निजी फायदे के लिए डाटा बेचते हैं। ग्राहकों का डाटा बेचने के लिए किसी साइबर अपराधी से संपर्क होना जरूरी नहीं है। डाटा डार्क वेब पर बेचा जाता है। विक्रेता को यह पता नहीं होता कि यह डाटा किसने और कितने में खरीदा है। डार्क वेब पर डाटा को कच्चा तेल कहा जाता है। पहले डाटा 20 पैसे प्रति व्यक्ति की दर से बेचा जाता था। अब इसकी कीमत भी एक रुपये प्रति व्यक्ति हो गई है।
ई-कॉमर्स कंपनियों के कूपन
साइबर अपराधियों को कम समय में पैसे खपाने होते हैं। वे ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं। वे ई-कॉमर्स कंपनियों के कूपन लेते हैं। इन कूपन को कभी भी भुनाया जा सकता है। पुलिस ने कमला नगर के एक व्यापारी से 34 लाख रुपए बरामद किए थे। यह रकम उसके चालू खाते से निकाली गई थी। ऑनलाइन शॉपिंग की गई थी।
डार्क वेब पर होती हैं अवैध गतिविधियां
डार्क वेब को सामान्य सर्च इंजन इंडेक्स नहीं करते हैं। इसे डार्क नेट भी कहते हैं। इसे खास ब्राउजर के जरिए एक्सेस किया जाता है। डार्क वेब पर अवैध गतिविधियां ज्यादा होती हैं। साइबर अपराधी कुछ भी खरीदना चाहते हैं तो डार्क वेब पर जाते हैं। डार्क वेब पर सॉफ्टवेयर भी खरीदा जा सकता है। हैकर भी मिल सकते हैं।
सतर्कता ही सुरक्षा है
– अपने क्रेडिट कार्ड की जानकारी किसी को न दें। ओटीपी भी न बताएं।
– कार्ड नंबर, रजिस्टर्ड नाम, जारी होने की तारीख/वैधता किसी अजनबी को न बताएं।
– अगर फोन पर कोई व्यक्ति खुद को क्रेडिट कार्ड कंपनी या बैंक कर्मचारी बताता है तो कॉल काट दें।
– किसी भी जानकारी के लिए सीधे बैंक से संपर्क करें।
– क्रेडिट कार्ड की लिमिट ब्लॉक रखें। जरूरत पड़ने पर इसे खोलें।
– अपना हॉट स्पॉट किसी अनजान व्यक्ति के साथ साझा न करें।
– अपने मोबाइल फोन से अपना लोकेशन डिसेबल रखें।