ITR Filing : इस साल आयकर विभाग ने आईटीआर दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी है। अब नई समय सीमा समाप्त होने में लगभग 1 सप्ताह ही बचा है, लेकिन अभी भी कई करदाता रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए हैं। ऐसे में करदाता और पेशेवर लोग समय सीमा को फिर से बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
समय सीमा बढ़ाने की मांग क्यों?
इस साल आयकर रिटर्न (आईटीआर) संबंधी जानकारी जारी होने में देरी ने करदाताओं और कर पेशेवरों के लिए एक चुनौती खड़ी कर दी है। पोर्टल पर तकनीकी समस्याएं भी जारी हैं। इनमें बार-बार सत्र समाप्ति, वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) और फॉर्म 26एएस के बीच बेमेल होना शामिल है। इन कारणों से, दाखिल करने की प्रक्रिया पहले की तुलना में अधिक जटिल और तनावपूर्ण हो गई है।
फॉर्म की उपलब्धता महत्वपूर्ण
एसबीएचएस एंड एसोसिएट्स के पार्टनर हिमांक सिंघला कहते हैं, ‘उचित अनुपालन के लिए हर कर सत्र में रिटर्न फॉर्म और जानकारी की समय पर उपलब्धता बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही, पर्याप्त फाइलिंग विंडो करदाताओं और पेशेवरों को अपने दायित्वों को ठीक से पूरा करने में मदद करती है।’
उन्होंने बताया कि पिछले साल ITR-1 से ITR-4 और ITR-6 1 अप्रैल 2024 को, ITR-5 31 मई को और ITR-7 21 जून को जारी किए गए थे। इससे करदाताओं को 31 जुलाई की समय सीमा से पहले लगभग तीन महीने की तैयारी का समय मिल गया था।
इस साल स्थिति अलग है
इस साल स्थिति पूरी तरह बदल गई है। CBDT ने गैर-ऑडिट मामलों की समय सीमा 31 जुलाई 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी है। लेकिन, ITR-5, ITR-6 और ITR-7 की उपयोगिताएँ अगस्त में जारी की गईं। ITR-2 और ITR-3 भी 11 जुलाई 2025 को जारी किए गए। इससे करदाताओं और पेशेवरों के पास फाइलिंग पूरी करने के लिए बहुत कम समय बचा।
सीए प्रतिभा गोयल ने कहा, ‘आखिरी समय की भागदौड़ से बचने के लिए ITR की समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। ITR उपयोगिताओं के देर से जारी होने से सब कुछ गड़बड़ हो गया है।’
समय सीमा का दबाव बढ़ा
स्थिति और जटिल हो गई है क्योंकि एक साथ कई समय सीमाएँ हैं। टैक्स ऑडिट रिपोर्ट 30 सितंबर तक जमा करनी होती हैं, जिससे नॉन-ऑडिट रिटर्न फाइलिंग से ऑडिट रिपोर्टिंग में बदलाव के लिए बहुत कम समय बचता है। इसके अलावा, कंपनी अधिनियम के तहत आरओसी की समय सीमा भी सितंबर में ही है। इससे कई नियमों के पालन का दबाव बढ़ गया है।
विस्तार से ज़्यादा फ़ायदा नहीं
सीबीडीटी ने व्यावहारिक कठिनाइयों को देखते हुए मई 2025 में नॉन-ऑडिट आईटीआर की समय सीमा बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी थी। लेकिन मुख्य उपयोगिताएँ अगस्त में जारी की गईं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस वजह से करदाताओं ने विस्तार का पूरा फ़ायदा नहीं उठाया।
हिमांक सिंघला कहते हैं, ’15 सितंबर के बाद समय सीमा बढ़ाना बेहद ज़रूरी है। यह सिर्फ़ सुविधा का नहीं, बल्कि निष्पक्षता और व्यावहारिकता का मामला है।’
आखिरी समय में रिटर्न दाखिल करना जोखिम भरा है
क्या करदाताओं को विस्तार का इंतज़ार करना चाहिए? कर विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। करदाताओं को जल्द से जल्द अपना रिटर्न दाखिल कर देना चाहिए।
Taxbuddy.com के संस्थापक सुजीत बंजर कहते हैं, “आखिरी समय में फाइलिंग से बड़ी समस्याएँ पैदा होती हैं। ज़्यादा ट्रैफ़िक होने पर आयकर पोर्टल धीमा हो जाता है या रुक जाता है। सत्यापन में विफलता, आधार ओटीपी में देरी या पोर्टल पर रखरखाव जैसी तकनीकी गड़बड़ियाँ आम हैं।”
वह चेतावनी देते हैं कि आखिरी समय में आय और कटौतियों के प्रमाण जुटाना काफ़ी उलझन भरा होता है। दबाव में की गई गलतियाँ करदाताओं को नुकसान पहुँचा सकती हैं, जैसे कि नुकसान के समायोजन का लाभ खोना। सुजीत बंजर कहते हैं, “जल्दी फाइलिंग न केवल सटीकता सुनिश्चित करती है, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करती है।”