सोचिए अगर आज आपके पास एक करोड़ रुपये हों, तो शायद आप खुद को आर्थिक रूप से सुरक्षित मानेंगे। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि यही रकम 30 या 50 साल बाद भी उतनी ही ताकतवर रहेगी? महंगाई एक ऐसी खामोश प्रक्रिया है, जो धीरे-धीरे आपके पैसों की खरीदने की शक्ति को कम करती है — और यह असर दीर्घकालिक वित्तीय योजना पर भारी पड़ सकता है।
महंगाई: चुपचाप बढ़ती कीमतों का असर
महंगाई यानी सामान और सेवाओं की कीमतों में समय के साथ बढ़ोतरी। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी वस्तु की कीमत आज ₹100 है और महंगाई दर 6% है, तो अगले साल वही वस्तु ₹106 में मिलेगी। यदि आपने अपना पैसा सिर्फ बचाकर रखा है और उसे निवेश नहीं किया, तो वह पैसा धीरे-धीरे अपनी उपयोगिता खो देता है।
एक करोड़ की गिरती ताकत – गणित के जरिए समझिए
अगर आज आपके पास ₹1 करोड़ हैं, तो यह रकम 10, 20 या 50 साल बाद कितनी मूल्यवान रहेगी, इसका सीधा संबंध महंगाई दर से है। उदाहरण के लिए:
समयावधि | 4% महंगाई | 5% महंगाई | 6% महंगाई |
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10 साल | ₹67.56 लाख | ₹61.39 लाख | ₹55.84 लाख |
20 साल | ₹45.57 लाख | ₹37.69 लाख | ₹31.18 लाख |
30 साल | ₹30.73 लाख | ₹23.15 लाख | ₹17.41 लाख |
40 साल | ₹20.72 लाख | ₹14.21 लाख | ₹9.72 लाख |
50 साल | ₹13.96 लाख | ₹8.72 लाख | ₹5.43 लाख |
इसका मतलब है कि 6% की औसत महंगाई दर पर 50 साल बाद आपकी 1 करोड़ की रकम केवल ₹5.43 लाख जैसी प्रभावशीलता रखेगी।
सिर्फ बचत नहीं, स्मार्ट निवेश है समाधान
आज के दौर में केवल बचत करना काफी नहीं है, क्योंकि ज्यादातर पारंपरिक सेविंग इंस्ट्रूमेंट जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट महज 5-6% रिटर्न देते हैं, जो महंगाई के बराबर या उससे कम होता है।
इसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं:
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इक्विटी में लॉन्ग टर्म निवेश: शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में SIP के जरिए निवेश करने पर औसतन 10-12% तक रिटर्न मिल सकता है। यह महंगाई को मात देने में सहायक हो सकता है।
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गोल-बेस्ड फाइनेंशियल प्लानिंग: रिटायरमेंट, बच्चों की उच्च शिक्षा जैसे दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए आपको ऐसे निवेश साधनों का चयन करना चाहिए, जो रियल रिटर्न यानी महंगाई के ऊपर रिटर्न दें।
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Real Return को समझें:
रियल रिटर्न = नोमिनल रिटर्न – महंगाई
उदाहरण के लिए, यदि आपकी एफडी पर 6% ब्याज मिल रहा है और महंगाई भी 6% है, तो आपकी असली कमाई शून्य है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
वित्तीय योजनाकार संदीप गुप्ता के अनुसार, “लोग अक्सर रकम को देखकर संतुष्ट हो जाते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि वह भविष्य में कितनी जरूरी चीजों की पूर्ति कर पाएगी।”
पर्सनल फाइनेंस कोच अन्विता शर्मा का कहना है, “लक्ष्य सिर्फ सेविंग्स नहीं, बल्कि सेविंग्स को बढ़ाना और महंगाई से आगे ले जाना होना चाहिए।”