Gst Council Considers Tax : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को कर मुक्त करने का प्रस्ताव रखा है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
हालांकि, सभी राज्य इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने आशंका जताई है कि इस छूट से राज्यों को लगभग ₹9,700 करोड़ का राजस्व नुकसान हो सकता है। यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के उन प्रयासों का हिस्सा है जिन्हें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दर में कटौती) ने “अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार” कहा है।
विज्ञान भवन में मंत्रिसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इन सुधारों की नींव तीन स्तंभों पर रखी गई है। इनमें शामिल हैं:
1. संरचनात्मक परिवर्तन
2. दरों का युक्तिकरण
3. जीवनयापन में आसानी
कर संरचना में बड़ा बदलाव
वर्तमान में जीएसटी चार दरों (5%, 12%, 18% और 28%) पर लगाया जाता है। सबसे कम कर आवश्यक वस्तुओं पर और सबसे ज़्यादा कर विलासिता और “अशुद्ध वस्तुओं” पर लगाया जाता है। सरकार अब इसे सरल बनाकर इसकी दो दरें 5% और 18% करना चाहती है, जबकि चुनिंदा “अशुद्ध वस्तुओं” पर 40% का एक विशेष कर स्लैब रखने का प्रस्ताव है।
राजस्व पर प्रभाव
एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि यह दर कटौती लागू की जाती है, तो जीएसटी की औसत प्रभावी दर घटकर 9.5% रह जाएगी। इसका राजस्व पर असर पड़ेगा। इससे लगभग ₹85,000 करोड़ का वार्षिक नुकसान हो सकता है और यदि इसे 1 अक्टूबर से लागू किया जाता है, तो तत्काल ₹45,000 करोड़ का नुकसान होगा।
पिछले दो दिनों में गठित तीन मंत्री समूहों (बीमा, क्षतिपूर्ति उपकर और दर युक्तिकरण) ने बीमा प्रीमियम पर छूट से लेकर क्षतिपूर्ति उपकर के भविष्य और शुल्क व्युत्क्रमण की समस्याओं जैसे मुद्दों पर चर्चा की है।
अब उनकी सिफारिशें अगले महीने होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में रखी जाएँगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संकेत दिया है कि दिवाली तक सुधारों को लागू करने की तैयारी चल रही है।





