Jeevika Didi : बिहार में ग्रामीण महिलाएं अब आत्मनिर्भरता की नई मिसाल कायम कर रही हैं। जीविका दीदियां, जो अब तक दूध उत्पादन तक ही सीमित थीं, अब अपना स्वयं का डेयरी फार्म खोलने की योजना बना रही हैं। कौशिकी महिला दुग्ध उत्पादक कंपनी लिमिटेड के तत्वावधान में क्रियान्वित यह पहल अब अपने स्वयं के ब्रांड के तहत दूध की पैकेजिंग और विपणन की दिशा में एक बड़ा कदम है।
जीविका दीदी की यह यात्रा 2017 में 600 गांवों की सिर्फ 36,000 महिलाओं के साथ शुरू हुई थी। धीरे-धीरे यह आंदोलन इतना व्यापक हो गया कि आज दो लाख से अधिक महिलाएं न केवल दूध उत्पादन में सफलता प्राप्त कर रही हैं, बल्कि 13,768 रुपये का वार्षिक कारोबार भी कर रही हैं। प्रत्येक जीविका दीदी औसतन 11 हजार रुपये प्रतिमाह कमाती हैं।
सभी जिलों में दूध संग्रहण केन्द्र स्थापित किए जाएंगे
दूध, जो अब तक मदर डेयरी और सुधा को भेजा जाता था, अब उनकी अपनी डेयरियों में संसाधित किया जाएगा और फिर बाजार में आपूर्ति की जाएगी। इस उद्देश्य के लिए सभी जिलों में दूध संग्रहण केन्द्र बनाए गए हैं, जहां दूध एकत्र किया जाता है तथा उसका भुगतान ऑनलाइन किया जाता है। जीविका दीदी वर्तमान में प्रतिदिन 80,000 लीटर दूध का उत्पादन करती हैं।
यहूदी दीदी तीन से पांच गायों की मालिक बन गईं
इस परियोजना से जुड़कर कई बहनों ने पशुपालन को व्यवसाय के रूप में अपनाया। जिनके पास पहले एक गाय थी, अब उनके पास तीन से पांच गायें हैं। आजीविका भी चारा और पोषण उपलब्ध कराने में प्रमुख भूमिका निभाती है। आज तक 4,898 टन पशु आहार, 116 टन खनिज मिश्रण, 110 टन हरा चारा और 69,513 कृमिनाशक दवाएं वितरित की जा चुकी हैं।
जीविका के सीईओ हिमांशु वर्मा ने कहा कि बहनें जल्द ही अपना डेयरी ब्रांड लॉन्च करेंगी। इससे न केवल उन्हें अधिक लाभ होगा बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। इस कदम को महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और ग्रामीण विकास की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।