Jeevika Didi Become Owners Of Tea Companies In Bihar : अब चाय उद्योग संभालेंगी जीविका दीदियां, बिहार सरकार ने दी बड़ी जिम्मेदारी.

Jeevika Didi Become Owners Of Tea Companies In Bihar : जीविका दीदियां अब चाय की खेती करेंगी, चाय की फैक्टरी चलाएंगी और चाय कंपनी की मालकिन भी बन गई हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लग गई। ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने शुक्रवार को इससे संबंधित अधिसूचना भी जारी कर दी।

इसके साथ ही स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत विशेष परियोजना के तहत स्वीकृत चाय प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग इकाई कालीदास किस्मत, पोठिया की जमीन, प्लांट और मशीनें बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्धन समिति को सौंप दी गई हैं।

ग्रामीण आजीविका संवर्धन समिति प्रायोजित उत्पादक कंपनी भी बनाई गई है। किशनगंज में चाय बागान का निबंधन हो चुका है। जीविका दीदियों का चाय की खेती में उतरने का यह पहला कदम है।

अभी यह तय नहीं हुआ है कि उनके द्वारा उत्पादित चाय की ब्रांडिंग किस नाम से की जाएगी। बिहार के पूर्वी जिले में चाय की खेती लंबे समय से होती आ रही है। किशनगंज के पोठिया प्रखंड के किचकीपारा कुसियारी में बिहार सरकार की चाय प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग इकाई है, जिसे सरकार ने दस साल के लिए लीज पर लिया है।

इस बीच, चाय की खेती से जुड़ी जीविका दीदियों का एक उत्पादन समूह बनाया गया है। इन समूहों से जुड़ी जीविका दीदियों को चाय उद्योग के हर पहलू की जानकारी दी जाएगी।

ताकि जब कंपनी शुरू हो तो वे चाय की खेती से लेकर मार्केटिंग तक सब कुछ खुद कर सकें। इस चाय कंपनी के निदेशक मंडल से लेकर शेयरधारक तक जीविका दीदियां ही होंगी।

चाय की खेती से बेरोजगारी खत्म

चाय की खेती से किशनगंज में बेरोजगारों को रोजगार मिला है। मजदूरों का पलायन भी रुका है। वातावरण में नमी आ गई है। बारिश होने लगी है और यहां की मिट्टी में बदलाव साफ दिखाई दे रहा है।

किशनगंज के लोगों के साथ-साथ बाहरी लोगों में भी चाय की खेती के प्रति रुझान बढ़ा है। किशनगंज की जलवायु खासकर चाय की खेती के लिए काफी अच्छी मानी जाती है।

खेती से मिलता है अच्छा मुनाफा

एक किलो सामान्य चाय के उत्पादन की लागत 100 से 150 रुपये आती है। जबकि उच्च गुणवत्ता वाली चाय की लागत 250 से 300 रुपये आती है।
गौरतलब है कि किशनगंज में सिर्फ चाय ही नहीं बल्कि ग्रीन टी का भी उत्पादन होता है। आज अधिकांश किसान अपनी पारंपरिक खेती छोड़कर चाय की खेती में लगे हैं।

ऐसे में अगर जीविका दीदियां इस काम को आगे बढ़ाएंगी तो निश्चित रूप से यह उद्योग आगे बढ़ेगा और महिलाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा।

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