Pitru Paksha 2025 : इस बार पितृपक्ष में पंचमी और षष्ठी किस दिन हैं?

Pitru Paksha 2025  : पूर्वजों के प्रति सम्मान और समर्पण प्रकट करने का पर्व पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ होगा। पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने, उनकी पूजा करने और तर्पण-अर्पण करने का अनुष्ठान भाद्रपद पूर्णिमा पर 7 सितंबर को पूर्णिमा तिथि के श्राद्ध के साथ प्रारंभ होगा। इस दिन मातृवंश, नाना-नानी आदि पूर्वजों को तर्पण देने का विधान है। पितृ पक्ष की औपचारिक शुरुआत आश्विन कृष्ण प्रतिपदा, 8 सितंबर से होगी। इसी दिन प्रतिपदा का श्राद्ध किया जाएगा।

ज्योतिषाचार्य आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि सनातन संस्कृति में पूर्वजों को समर्पित यह पक्ष 21 सितंबर को आश्विन अमावस्या तक चलेगा, इसी दिन पितृ विसर्जन भी किया जाएगा। मां आदिशक्ति की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होगा। भाद्र शुक्ल पूर्णिमा से महालय प्रारंभ होता है। यह आश्विन अमावस्या तक रहता है। जिस दिन उदया तिथि में पूर्णिमा होती है, उसी दिन महालय प्रारंभ होता है।

… इसलिए पंचमी और षष्ठी तिथि का श्राद्ध 12 सितंबर को किया जाएगा।
पितृ पक्ष 2025: इस बार पूर्णिमा उदया तिथि में 7 सितंबर को है, इसलिए महालय भी उसी दिन से प्रारंभ होगा। ज्योतिषाचार्य आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि पंचमी 12 सितंबर को दोपहर 1.20 बजे तक है। इसके बाद षष्ठी तिथि प्रारंभ होगी। 13 सितंबर को सुबह 11.04 बजे तक षष्ठी रहेगी। पिंडदान, तर्पण में दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक तिथि का होना अनिवार्य है। ऐसे में पंचमी और षष्ठी तिथि का श्राद्ध 12 सितंबर को किया जाएगा।

चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को
पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडे के अनुसार, पितृ पक्ष 2025, भाद्रपद पूर्णिमा 6 सितंबर की मध्यरात्रि के बाद दोपहर 12.57 बजे से शुरू होगी, जो 7 सितंबर की रात 11.47 बजे तक रहेगी। श्राद्ध की पूर्णिमा 7 सितंबर को होगी। इसमें मातृ कुल के पूर्वजों का श्राद्ध तर्पण किया जाएगा। इसी रात पूर्ण चंद्र ग्रहण भी लगेगा जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण रात 9:52 बजे शुरू होगा और रात 1:27 बजे तक रहेगा। चंद्र ग्रहण समाप्त होते ही आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। इसलिए प्रतिपदा का श्राद्ध 8 सितंबर को होगा।

पितृ पक्ष की विशेष तिथियां

– पूर्णिमा तिथि 7 सितंबर को।

– 12 सितंबर को पंचमी और षष्ठी का श्राद्ध।

– 15 सितंबर को मातृ नवमी पर माताओं का श्राद्ध।

– 18 सितंबर को द्वादशी तिथि पर संन्यासियों का श्राद्ध।

– दुर्घटना या हथियार से मृत लोगों का श्राद्ध 20 सितंबर को चतुर्दशी तिथि पर

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