Ban On Online Games : लोकसभा ने देश के 45 करोड़ से ज़्यादा लोगों को ऑनलाइन गेमिंग के चंगुल से मुक्त कराने के लिए ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक, 2025 पारित कर दिया है।
बुधवार दोपहर पेश किया गया यह विधेयक बिना किसी बहस के पारित हो गया क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर चर्चा की मांग करते हुए नारे लगाए।
विधेयक के कानून बनते ही ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लग जाएगा।
इस विधेयक के कानून बनते ही पैसों से जुड़े सभी ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लग जाएगा। इस कानून के लागू होने पर लोग गूगल प्ले स्टोर से पैसों से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग ऐप डाउनलोड नहीं कर पाएंगे।
सरकार ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को बढ़ावा देगी।
ऑनलाइन गेमिंग के जाल में फंसे लोगों को सालाना 20 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान होता है, जिससे उनका घर बर्बाद हो रहा है, वे आत्महत्या कर रहे हैं और उनका बैंक खाता खाली हो रहा है। सरकार बिना पैसों के खेले जाने वाले ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को बढ़ावा देगी।
इसके लिए सरकार एक प्राधिकरण का गठन करेगी और एक योजना भी लाएगी। केंद्र सरकार लोगों की हज़ारों शिकायतें मिलने और विभिन्न राज्यों के अनुरोध पर यह कानून ला रही है, लेकिन इसे लागू करने की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से राज्यों पर होगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार का उद्देश्य समाज को बर्बादी से बचाना और आत्महत्याओं को रोकना है, न कि राजस्व की चिंता करना। इस प्रकार के ऑनलाइन गेम नशे की लत की तरह हैं। ऑनलाइन मनी गेमिंग एक गंभीर सामाजिक और जन स्वास्थ्य समस्या बन गई है, जिसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव साफ़ दिखाई दे रहा है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि दो-तिहाई ऑनलाइन गेमिंग में ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग शामिल हैं। सरकार इन्हें प्रोत्साहित करेगी, क्योंकि इस प्रकार के गेमिंग से बच्चों का दिमाग़ विकसित होता है और उनमें नेतृत्व कौशल का विकास होता है। इन्हें कानूनी मान्यता मिलेगी और बढ़ावा दिया जाएगा।
क्रिकेट गेम खेलने वालों की संख्या खुदरा निवेशकों से ज़्यादा है। सरकार का कहना है कि पिछले कई वर्षों से ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों से गेमिंग के ज़रिए सट्टेबाजी बंद करने के लिए कहा जा रहा था। लेकिन, इस दिशा में उनकी ओर से कोई सकारात्मक प्रयास नहीं किया गया। क्रिकेट से जुड़े कुछ ऑनलाइन गेम 20 करोड़ लोग खेलते हैं, जबकि देश में शेयर बाज़ार से जुड़े खुदरा निवेशकों की संख्या अभी इतनी नहीं पहुँची है। ये सभी खिलाड़ी गेमिंग ऐप्स के ज़रिए सट्टा लगाने का काम करते हैं।
सरकार ने कहा, राजस्व के नुकसान की कोई चिंता नहीं
सरकार ने साल 2023 में पैसों से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया था। कहा जा रहा है कि गेमिंग पर प्रतिबंध से सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। लेकिन सरकार कह रही है कि हमें इसकी कोई चिंता नहीं है और हम इनकी जगह ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग लाएँगे। इससे रोज़गार भी पैदा होंगे। देश में ऑनलाइन गेमिंग का कारोबार इस समय 3.8 अरब डॉलर का है।
खेल खेलने वालों को नहीं, बल्कि दूसरों को खिलवाने वालों को सज़ा होगी।
पैसों से जुड़े ऑनलाइन गेम खेलने वालों को सज़ा नहीं होगी। इस तरह के गेमिंग ऐप चलाने वालों पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना और तीन साल की कैद का प्रावधान किया गया है।
ऐसे गेमिंग ऐप्स का विज्ञापन करने वाले सितारों को दो साल की जेल और 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
पैसों से जुड़े गेमिंग के विज्ञापनों पर रोक लगाने और बैंकों व वित्तीय संस्थानों को पैसे ट्रांसफर करने से रोकने के लिए एक नियम बनाया गया है।
पैसे वाले खेलों में वित्तीय लेनदेन की सुविधा प्रदान करने वालों को तीन साल की कैद और एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
बार-बार अपराध करने पर तीन से पाँच साल की कैद और दो करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
प्रमुख धाराओं के तहत अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती बनाया गया है।
सभी ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए को अवैध घोषित कर दिया गया है। इनमें ऑनलाइन फैंटेसी गेमिंग से लेकर ऑनलाइन जुआ (जैसे पोकर, रम्मी और अन्य कार्ड गेम) और ऑनलाइन लॉटरी शामिल हैं।
नए कानून के लागू होने तक गेमिंग की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी।





