Big Loan Scam In SBI : SBI में 5.50 करोड़ का लोन घोटाला, पूर्व बैंक मैनेजर समेत 18 गिरफ्तार.

Big Loan Scam In SBI देश के सबसे प्रतिष्ठित और सुरक्षित माने जाने वाले भारतीय स्टेट बैंक में एक लोन घोटाला सामने आया है। दाहोद की दो शाखाओं में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ऐसे लोगों को लोन दिया गया जो लोन के पात्र ही नहीं थे। बैंक की ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ, जिसके बाद वर्तमान शाखा प्रबंधक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पूर्व बैंक प्रबंधक समेत 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

दाहोद पुलिस ने बताया कि भारतीय स्टेट बैंक की दो अलग-अलग शाखाओं के एजेंटों ने पूर्व बैंक प्रबंधक के साथ मिलीभगत करके बैंक की सभी नीतियों और नियमों का उल्लंघन करते हुए फर्जी सैलरी स्लिप और जाली दस्तावेजों के आधार पर 5.50 करोड़ रुपये का लोन देकर धोखाधड़ी की है।

कुछ रेलवे कर्मचारी ऐसे थे जिनका वेतन कम था। उनकी सैलरी स्लिप में आंकड़े बढ़ाकर उन्हें लोन दिया गया। इतना ही नहीं, कुछ ऐसे लोग भी थे जिनके पास नौकरी भी नहीं थी, उन्हें सरकारी ड्राइवर और शिक्षक के फर्जी दस्तावेज और सैलरी स्लिप बनाकर लोन दिया गया।

बैंक मैनेजर द्वारा इस मामले में शिकायत दर्ज कराने के बाद, पुलिस ने बैंक मैनेजरों और एजेंटों समेत 30 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर दोनों शाखाओं के पूर्व मैनेजर, दो एजेंटों और लोन धारकों समेत कुल 18 लोगों को गिरफ्तार किया है।

2021 से 2024 के बीच हुआ घोटाला

यह घोटाला एसबीआई के मुख्य शाखा प्रबंधक गुरमीत सिंह बेदी ने संजय डामोर और फईम शेख के साथ मिलकर 2021 से 2024 की अवधि में किया। उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बैंक के नियमों का उल्लंघन किया और रेलवे में चतुर्थ श्रेणी में कार्यरत रेलवे कर्मचारियों को कम वेतन के बावजूद कमीशन पर अधिक वेतन दिखाकर 4.75 करोड़ रुपये का लोन दे दिया।

फर्जी दस्तावेज बनाकर दिया लोन

इसी तरह, जीएलके टावर में संचालित एसबीआई की एक अन्य शाखा के मैनेजर मनीष गवाले ने दो एजेंटों के साथ मिलकर करीब 10 लोगों के फर्जी दस्तावेज, सैलरी स्लिप बनाकर उन्हें कागजों पर गुजरात परिवहन निगम का कर्मचारी और सरकारी शिक्षक दिखाकर 82.72 लाख रुपये का लोन दे दिया। इस लोन घोटाले में बैंक मैनेजर और दो एजेंटों द्वारा बैंक के नियमों की अनदेखी कर लोन देने का खुलासा होने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है।

एजेंट और बैंक मैनेजर की मिलीभगत

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए संजय दामोर और फईम शेख, एजेंट बनकर बैंक में लोन लेने आने वाले लोगों की तलाश करते थे। वे उनकी सैलरी स्लिप अपडेट करके बड़े लोन की गारंटी देते थे। लोन स्वीकृत होने के बाद, वे लोन लेने वाले से कमीशन के तौर पर पैसे लेते थे, जिसका एक हिस्सा बैंक मैनेजर को भेज दिया जाता था। दोनों एजेंट बैंक मैनेजर की मिलीभगत से इस लोन घोटाले को अंजाम दे रहे थे।

ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा

यह लोन घोटाला लंबे समय से चल रहा था और फर्जी सैलरी स्लिप पर लोन लेने वाले लोनधारक समय पर लोन की किश्तें भी चुका रहे थे। लेकिन अवैध तरीके से लोन लेने वाले तीन-चार लोन धारक समय पर किश्तें नहीं चुका पाए और उनके खाते एनपीए हो गए, जिसके बाद जून 2024 में ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सामने आया जिसमें दस्तावेजों की जांच के बाद पूरे घोटाले का पर्दाफाश हुआ।

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