NISAR Satellite Launched : नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) उपग्रह शीघ्र ही प्रक्षेपित किया जाएगा। जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:40 बजे उपग्रह को लेकर उड़ान भरेगा और उपग्रह को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित करेगा।
निसार उपग्रह नासा और इसरो का एक संयुक्त मिशन है। दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों ने मिलकर इसे विकसित किया है। यह पूरी पृथ्वी पर नज़र रखेगा। हालाँकि, इसरो ने पहले रिसोर्ससैट और रीसेट सहित पृथ्वी निगरानी उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं, लेकिन ये उपग्रह केवल भारतीय क्षेत्र की निगरानी तक ही सीमित थे।
निसार क्या है, अंतरिक्ष में जाकर यह पृथ्वी के लिए क्या करेगा, यह कैसे काम करेगा, क्या इससे कृषि को भी लाभ होगा? निसार उपग्रह से जुड़े सभी सवालों के जवाब यहाँ पढ़ें…
निसार क्या है और यह क्यों खास है?
नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) दुनिया का पहला रडार उपग्रह है, जो अंतरिक्ष से व्यवस्थित तरीके से पृथ्वी का मानचित्रण करेगा। इतना ही नहीं, यह पहला उपग्रह है जो दोहरे रडार बैंड (एल-बैंड और एस-बैंड) का उपयोग करता है जिससे यह विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय और भूवैज्ञानिक स्थितियों की निगरानी कर सकता है।
अंतरिक्ष में पहुँचने के बाद, यह उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में परिक्रमा करेगा। NISAR तीन वर्षों तक अंतरिक्ष में रहकर पृथ्वी की निगरानी करेगा।
ये बैंड क्या हैं?
बैंड रडार प्रणाली में रेडियो तरंगों की आवृत्ति या तरंगदैर्ध्य को दर्शाते हैं। प्रत्येक बैंड अलग-अलग आवृत्तियों और तरंगदैर्ध्य पर काम करता है, जिससे यह निर्धारित होता है कि कितनी दूर की चीज़ें स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। सरल शब्दों में, दो बैंड का अर्थ है दोहरी रडार प्रणाली।
एल-बैंड अर्थात 1.25 गीगाहर्ट्ज़, 24 सेमी तरंगदैर्ध्य: ज़मीन के अंदर देखने में सक्षम, जंगलों और बर्फ के नीचे का डेटा प्रदान कर सकता है। यह ग्लेशियर के टूटने, भूमि धंसने, ज्वालामुखी विस्फोट और भूकंप संबंधी गतिविधियों पर नज़र रखने का काम करेगा। यह रडार नासा द्वारा प्रदान किया गया है।
एस-बैंड अर्थात 3.20 गीगाहर्ट्ज़, 9.3 सेमी तरंगदैर्ध्य: सतह की सूक्ष्म गतिविधियों की पहचान करने में सक्षम। यह कृषि, सतही नमी, फसलों की निगरानी और बुनियादी ढाँचे (पुल, बाँध और रेल पटरियाँ) की गतिविधियों पर नज़र रखने का काम करेगा। इस रडार का निर्माण इसरो ने ही किया है।
आपको बता दें कि निसार उपग्रह का निर्माण और एकीकरण जनवरी 2024 में ही हो गया था। इसका प्रक्षेपण मार्च 2024 में होना था, लेकिन हार्डवेयर अपग्रेड और अतिरिक्त परीक्षणों के कारण इसका प्रक्षेपण जुलाई 2025 तक के लिए टाल दिया गया।
निसार में किस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है?
निसार में स्वीप सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस तकनीक के ज़रिए बड़े से बड़े क्षेत्र को हाई रेज़ोल्यूशन (5-10 मीटर) के साथ स्कैन करके बेहद स्पष्ट तस्वीरें ली जा सकती हैं। खास बात यह है कि SAR की बदौलत निसार बादलों और अंधेरे में भी डेटा एकत्र कर सकता है, जिससे पृथ्वी पर चौबीसों घंटे नज़र रखी जा सकेगी।
निसार के बारे में यह भी जानें…
निसार उपग्रह का वज़न 2.5 टन है
यह पृथ्वी से 748 किलोमीटर ऊपर एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव तक परिक्रमा करेगा।
निसार उपग्रह का स्कैन चक्र 12 दिनों का होगा।
यह एक बार में 240 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करेगा।
निसार का नियोजित जीवनकाल 3 वर्ष है।
यह प्रतिदिन 80 टेराबाइट डेटा प्रदान करेगा।
150 से अधिक हार्ड ड्राइव निसार डेटा से भरी होंगी।
निसार मिशन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 102वाँ प्रक्षेपण है।
मिशन निसार की लागत कितनी थी?
निसार मिशन की कुल लागत लगभग 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 13,120 करोड़ रुपये है। इसमें इसरो का हिस्सा लगभग 93 मिलियन डॉलर (813 करोड़ रुपये) और नासा का हिस्सा 1.118 बिलियन डॉलर (9779 करोड़ रुपये) है। यह दुनिया का सबसे महंगा पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह है।
इसरो और नासा ने क्या कहा?
निसार हर मौसम में 24 घंटे पृथ्वी की तस्वीरें ले सकता है। यह भूस्खलन का पता लगा सकता है, आपदा प्रबंधन में मदद कर सकता है और जलवायु परिवर्तन पर भी नज़र रख सकता है। यह उपग्रह भारत और अमेरिका समेत पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद होगा। यह पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी के लिए भी महत्वपूर्ण है। – वी. नारायणन, अध्यक्ष, इसरो
यह अमेरिका और भारत के बीच पृथ्वी का इतने विस्तृत अवलोकन करने वाला पहला मिशन है। – निकोला फॉक्स, नासा विज्ञान मिशन निदेशालय की एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर
इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि निसार के सफल प्रक्षेपण के बाद, अगले साल दो अन्य मानवरहित मिशन भी प्रक्षेपित किए जाएँगे। इसी साल दिसंबर में व्योम मित्र नामक एक मानव रोबोट अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। फिर मार्च 2027 में गगनयान मिशन प्रक्षेपित किया जाएगा। गगनयान मिशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर दूर स्थित पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा।
निसार को अंतरिक्ष में क्यों भेजा गया?
पृथ्वी लगातार बदल रही है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, तटरेखाएँ पीछे हट रही हैं और ये परिवर्तन इतने धीमे हैं कि आमतौर पर किसी का ध्यान नहीं जाता। अब NISAR का मुख्य लक्ष्य पृथ्वी की सतह, पर्यावरण और प्राकृतिक प्रक्रियाओं की निगरानी करना है।
NISAR उपग्रह हर 12 दिनों में पूरी पृथ्वी का स्कैन करेगा, जिससे पृथ्वी की सतह में होने वाले परिवर्तनों का उच्च-आवृत्ति डेटा प्राप्त होगा। यह कुछ सेंटीमीटर जितने छोटे परिवर्तनों को भी रिकॉर्ड करेगा। यह 5-10 मीटर रिज़ॉल्यूशन के साथ भू-आकृति विज्ञान, जैवभार और सतह की ऊँचाई को मापेगा।
NISAR के डेटा से भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट और भूस्खलन जैसे खतरों का अनुमान लगाया जा सकेगा।
भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का पता लगाया जा सकेगा और उन्हें कम किया जा सकेगा। यह उपग्रह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने, कृषि के लिए मिट्टी का विश्लेषण करने और बुनियादी ढाँचे की योजना बनाने में मदद करेगा।