Railway Changes Reservation Rules : रेलवे ने आरक्षित श्रेणी की टिकट बुकिंग में एक बार फिर बड़ा बदलाव किया है। स्लीपर से लेकर एसी तक सभी श्रेणियों में 25% प्रतीक्षा सूची वाले टिकट जारी करने के नियमों में बदलाव किया गया है। यह व्यवस्था ट्रेन के खुलने वाले स्टेशन से लेकर बीच के स्टेशनों तक लागू की गई है।
स्टेशन पर ट्रेन के सामान्य कोटे की तुलना में स्लीपर और सेकंड सीटिंग (2S) में 40% अधिक प्रतीक्षा सूची वाले टिकट जारी किए जाएँगे। 40% अधिक प्रतीक्षा सूची जारी होने के बाद, नो रूम की समस्या होगी। सेकंड एसी, थर्ड एसी, थर्ड एसी इकोनॉमी और एसी चेयर कार में सामान्य कोटे की तुलना में 60% अधिक प्रतीक्षा सूची वाले टिकट जारी किए जाएँगे।
नई व्यवस्था राजधानी और दुरंतो एक्सप्रेस को छोड़कर सभी मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में लागू हो गई है। प्रतीक्षा सूची वाले टिकटों की संख्या 25% तक सीमित होने के बाद यात्रियों को टिकट मिलना मुश्किल हो गया था। दो महीने पहले तक ज़्यादातर ट्रेनों में नो रूम की समस्या हो रही थी। नई व्यवस्था ने नो रूम की समस्या से छुटकारा दिला दिया है।
वेल्लोर जाने वाले मरीज़ों और मुंबई के यात्रियों को मिलने लगे वेटिंग टिकट
वेटिंग टिकट की सीमा तय होने से सबसे ज़्यादा परेशानी धनबाद-एलेप्पी एक्सप्रेस और हावड़ा-मुंबई मेल के यात्रियों को हो रही थी। दो महीने पहले एलेप्पी एक्सप्रेस में नो रूम के कारण वेल्लोर इलाज के लिए जाने वाले मरीज़ों को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, क्योंकि वेटिंग टिकट भी नहीं मिल रहे थे।
मुंबई जाने वाले यात्रियों का भी यही हाल था। अब दोनों ट्रेनों में अलग-अलग दिनों में वेटिंग टिकट मिल रहे हैं।
राजधानी और दुरंतो एक्सप्रेस के थर्ड और सेकंड एसी में 40 प्रतिशत तक वेटिंग टिकट
राजधानी और दुरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेनों में भी सिर्फ़ 25 प्रतिशत वेटिंग टिकट ही जारी हो रहे थे। इस वजह से हावड़ा-नई दिल्ली और सियालदह-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस के साथ-साथ सियालदह-बीकानेर दुरंतो एक्सप्रेस में भी ज़्यादातर दिनों में नो रूम की स्थिति रही।
इन ट्रेनों में भी वेटिंग टिकट मिलना मुश्किल हो गया था। अब इन ट्रेनों में थर्ड और सेकंड एसी में 40 प्रतिशत तक वेटिंग टिकट जारी किए जा रहे हैं।
इसे ऐसे समझें-
पहले धनबाद से चलने वाली या गुजरने वाली किसी भी ट्रेन में स्लीपर में 20 जनरल कोटा, थर्ड एसी में 10 और सेकंड एसी में 8 सीटें होती थीं, तो स्लीपर में जनरल कोटे की 20 सीटें बुक होने के बाद केवल पाँच से छह टिकट ही वेटिंग में जारी किए जाते थे।
थर्ड एसी में जनरल कोटे की 10 सीटें होने के बाद केवल तीन से चार टिकट और सेकंड एसी में दो से तीन वेटिंग टिकट ही जारी किए जाते थे। अब सभी श्रेणियों में अधिक वेटिंग टिकट जारी किए जा रहे हैं।
टिकट बुकिंग में 20-25 प्रतिशत की कमी आई थी, नियम बदलते ही ग्राफ बढ़ने लगा
वेटिंग टिकट सीमित करने से टिकट बुकिंग में 20-25 प्रतिशत की कमी आई थी। इसका असर धनबाद के रेलवे आरक्षण केंद्र पर ही पड़ा। प्रतिदिन 700-800 टिकट जारी होते हैं, जिनमें पहले 200 से 300 की कमी आई थी। अब नियमों में बदलाव के कारण टिकट बुकिंग का ग्राफ बढ़ने लगा है।
किस ट्रेन में प्रतीक्षा सूची वाले टिकटों का प्रतिशत कितना है?
श्रेणी: मेल-एक्सप्रेस, राजधानी-दुरंतो
प्रथम श्रेणी: एसी 100 प्रतिशत, 60 प्रतिशत
द्वितीय श्रेणी: एसी 60 प्रतिशत, 40 प्रतिशत
तृतीय श्रेणी: एसी, इकोनॉमी, एसी चेयर कार 60 प्रतिशत, 40 प्रतिशत
स्लीपर और 2S 40 प्रतिशत –